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चुनाव वाले राज्यों में टीकाकरण कार्यक्रम तेज किया जाए: निर्वाचन आयोग ने स्वास्थ्य सचिव से कहा

By भाषा | Updated: December 27, 2021 21:28 IST

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नयी दिल्ली, 27 दिसंबर निर्वाचन आयोग ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के साथ उन राज्यों की कोविड-19 स्थिति की समीक्षा की, जहां चुनाव होने हैं। आयोग ने सरकार से इन राज्यों में टीकाकरण कार्यक्रम तेज करने को कहा।

आयोग ने कहा कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में कोरोना वायरस टीके की पहली खुराक लेने वालों का प्रतिशत अब भी कम है, जबकि उत्तराखंड और गोवा में यह लगभग 100 प्रतिशत है ।

उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि निर्वाचन आयोग ने स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण से इन पांच चुनावी राज्यों में पात्र लोगों को दूसरी खुराक देने में तेजी लाने को कहा है।

आयोग ने इससे अलग प्रवर्तन एजेंसियों और केंद्रीय बलों के साथ हुई बैठक में स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के शीर्ष अधिकारियों को चुनावों में मादक पदार्थों के प्रभाव पर नजर रखने का निर्देश दिया।

आयोग ने आईटीबीपी, बीएसएफ और एसएसबी के शीर्ष अधिकारियों से भी मुलाकात की और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर कड़ी निगरानी बनाए रखने के लिए कहा।

इन बैठकों की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने देश में, विशेष रूप से उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में कोविड की स्थिति पर लगभग एक घंटे तक निर्वाचन आयोग को जानकारी दी। कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के प्रसार के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।

एक पदाधिकारी ने कहा, ''यह सूचना प्राप्त करने के लिए एक सत्र था। आयोग ने (स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा) उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर स्थिति का आकलन किया।''

स्वास्थ्य सचिव ने निर्वाचन आयोग को वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए हाल के दिनों में जारी किए गए कोविड प्रोटोकॉल और गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के बारे में भी जानकारी दी।

एनसीबी, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के शीर्ष अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान, निर्वाचन आयोग ने स्वापक नियंत्रण ब्यूरो से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि मादक पदार्थ चुनाव को प्रभावित न करें।

सूत्रों ने बताया कि आयोग ने मादक पदार्थों की तस्करी के संबंध में विशेष रूप से पंजाब और गोवा का जिक्र किया।

गोवा, पंजाब, उत्तराखंड और मणिपुर विधानसभाओं का कार्यकाल अगले साल मार्च में अलग-अलग तारीखों पर समाप्त हो रहा है, जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल मई में समाप्त होगा।

निर्वाचन आयोग अगले महीने चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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