'कश्मीरियत' की परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए बुद्धिजीवी, शिक्षाविद श्रीनगर में एकत्र हुए

By भाषा | Updated: October 3, 2021 19:59 IST2021-10-03T19:59:26+5:302021-10-03T19:59:26+5:30

Intellectuals, academicians gather in Srinagar to revive the tradition of 'Kashmiriyat' | 'कश्मीरियत' की परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए बुद्धिजीवी, शिक्षाविद श्रीनगर में एकत्र हुए

'कश्मीरियत' की परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए बुद्धिजीवी, शिक्षाविद श्रीनगर में एकत्र हुए

श्रीनगर, तीन अक्टूबर आभासी दुनिया से निकल कर वास्तविक दुनिया में प्रवेश करते हुये, बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों का एक समूह ‘कश्मीरियत’ को पुनर्जीवित करने के लिये शनिवार को यहां एकत्र हुआ । कश्मीरियत, संघर्षग्रस्त घाटी में एकता और सांप्रदायिक सद्भाव की एक परंपरा है।

इस समूह को ‘‘समनबल’’ के नाम से जाना जाता है । यह समूह एक नए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शुरू किया गया था , जहां घाटी और विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों की आवाजें अक्सर कश्मीर में धार्मिक समन्वय की सदियों पुरानी संस्कृति को पुनर्जीवित करने के बारे में बातचीत करती हैं ।

इस समूह की शुरूआत बारामूला के रहने वाले जावेद डार ने रतनीपुरा के मैसर माजिद तथा कश्मीर विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डा नुसरत अमीन के साथ मिल कर की थी, डार और माजिद राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं । अमीन ऊर्दू पढ़ाते हैं ।

विस्थापित समुदाय के प्रख्यात कलाकार इंदर सलीम ने कहा, ‘‘इतिहास अपने आपको दोहराता है। पंडित और मुस्लिम एक ही परिवेश के हैं और राजनीतिक दुराव के बावजूद एक दूसरे के साथ संवाद करने की उनकी इच्छा है। दोनों समुदायों के बीच एक-दूसरे तक पहुंचने की नई गतिशीलता पैदा करने का आग्रह होगा।’’

इंदर सलीम इस सम्मेलन में हिस्सा लेने दिल्ली से आये हैं । उनका नाम भी ‘कश्मीरियत’ की भावना के अनुरूप है, जिसमें एक पंडित नाम है और एक मुस्लिम नाम है।

प्रसिद्ध लेखक और टीवी शख्सियत मोहम्मद अमीन भट्ट ने कहा, ‘‘जब मैं अपने भाईयों से मिला तो मेरा जीवन चक्र पूरा हो गया । यह मेरे खुद के अलग-अलग हिस्सों का एक पुनर्मिलन था ।’’ इस दौरान भट्ट कई बार भावुक हुए ।

डार एवं माजिद ने कहा कि 1990 में जो कुछ भी हुआ उसका उन्हें दुख है और इस समूह का निर्माण विस्थापित समुदाय को वापस लाने के की दिशा में काम करने के लिए किया गया है ।

डार ने कहा, ‘‘हमलोगों को डा नुसरत और कुछ अन्य लोगों से मार्गदर्शन मिलता है और आज हम इस बात से प्रसन्न हैं कि अंतत: आज हमारी मुलाकात प्रत्यक्ष रूप से हुयी है ।

कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंस के जरिये शिरकत करते हुये डॉ नुसरत अमीन ने कहा कि कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कहानी बनाई जा रही है कि 1990 के पलायन के लिए कश्मीरी मुस्लिम समुदाय जिम्मेदार था जिसने दोनों समुदायों के बीच दुश्मनी को जन्म दिया है ।

उन्होंने कहा, "इस समूह का उद्देश्य उन आवाज़ों को खोजना था जो कश्मीरी मुसलमानों और कश्मीरी पंडितों के बीच विभाजन को पाट सकें और मुझे खुशी है कि हमने इसे हासिल कर लिया है ।"

उन्होंने कहा कि कुछ कश्मीरी पंडित वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए हैं।

बैठक में भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी शाहिद इकबाल चौधरी भी शामिल हुये । चौधरी जनजातीय मामलों के विभाग के सचिव और मिशन यूथ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं ।

उन्होंने कहा कि आयोजकों द्वारा यह एक अच्छा प्रयास है और उनसे कई और आयोजन करने का आग्रह किया।

इसमें अन्य क्षेत्रों के विभिन्न गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Intellectuals, academicians gather in Srinagar to revive the tradition of 'Kashmiriyat'

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे