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सूचना आयोग ने दो अधिकारियों पर सूचना नहीं देने पर जुर्माना लगाया

By भाषा | Updated: April 13, 2021 13:53 IST

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जयपुर,13 अप्रैल राजस्थान राज्य सूचना आयोग ने सूचना के अधिकार के तहत सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर अजमेर नगर निगम के आयुक्त और झालावाड़ के भवानीमंडी पालिका के अधिशासी अधिकारी पर जुर्माना लगाया है।

अजमेर नगर निगम द्वारा एक नागरिक को सूचना उपलब्ध कराने में देरी पर राज्य सूचना आयोग ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए निगम आयुक्त पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

आयोग ने भवानी मंडी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी पर सूचना के अधिकार कानून की अनदेखी पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की यह राशि उनके वेतन से काटे जाने का निर्देश दिया गया है।

सूचना आयुक्त नारायण बारेठ ने अपने आदेश में कहा कि निगम ने जवाब देने में असाधारण देरी की है, यह गंभीर मामला है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है।

एक बयान में उन्होंने कहा कि अजमेर के नाथू सिंह ने 30 मई 2018 को अर्जी दाखिल कर निगम से अपने शिकायती पत्र पर की गई कार्रवाई पर जानकारी मांगी थी।

आवेदक के अनुसार तय समय सीमा में निगम द्वारा कोई जानकारी नहीं दिये जाने पर उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत निगम के महापौर धर्मेंद्र गहलोत के सम्मुख अपील दायर की, जिसके बाद महापौर ने 17 सितंबर 2018 को सुनवाई के बाद निगम को पंद्रह दिन में वांछित सूचना मुहैया कराने का आदेश दिया। लेकिन निगम प्रशासन ने महापौर के आदेश को भी कोई महत्व नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि आयोग ने नाथू सिंह की अपील पर जब निगम से जवाब तलब किया तो निगम जवाब देने से बचता रहा।आयोग ने अलग अलग समय निगम को चार बार नोटिस भेजे मगर निगम प्रशासन ने उसे कोई तवज्जो नहीं दी।

सूचना आयुक्त ने इसे गंभीर माना और निगम आयुक्त पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। साथ ही आदेश की प्रति स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक को भी भेजने का निर्देश दिया है।

बारेठ ने एक अन्य आदेश में बताया कि आयोग ने झालावाड़ जिले में भवानीमंडी पालिका के अधिशासी अधिकारी पर भी पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

आयोग के पास भवानी मंडी के अनवर हुसैन ने शिकायत की थी कि पालिका ने उनके आवेदन के प्रति बेरुखी दिखाई है। हुसैन ने 10 जुलाई 2010 को अर्जी दाखिल कर पालिका से ‘स्टेट ग्रांट एक्ट’ के तहत बनाये गए पट्टों के बारे में सूचना मांगी थी।

आयोग ने जब पालिका से इस मामले में जवाब माँगा तो पालिका ने कोई उत्तर नहीं दिया। आयोग ने पालिका को दो बार अवसर दिया।

सूचना आयुक्त ने जुर्माने के साथ अधिकारी को निर्देश दिया कि वे हुसैन को दस्तावेजों का अवलोकन करवाए और अगर वह कोई सूचना चाहें तो पचास पृष्ठों तक की सूचना निशुल्क उपलब्ध कराई जाए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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