तेजी से गर्म हो रहा हिंद महासागर, भारत में भी लू, बाढ़ का बढ़ेगा खतरा : आईपीसीसी रिपोर्ट

By भाषा | Updated: August 9, 2021 18:20 IST2021-08-09T18:20:31+5:302021-08-09T18:20:31+5:30

Indian Ocean warming rapidly, heat wave in India, flood risk will increase: IPCC report | तेजी से गर्म हो रहा हिंद महासागर, भारत में भी लू, बाढ़ का बढ़ेगा खतरा : आईपीसीसी रिपोर्ट

तेजी से गर्म हो रहा हिंद महासागर, भारत में भी लू, बाढ़ का बढ़ेगा खतरा : आईपीसीसी रिपोर्ट

नयी दिल्ली, नौ अगस्त आईपीसीसी की नयी रिपोर्ट में सोमवार को कहा गया कि हिंद महासागर, दूसरे महासागर की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है। इसके साथ ही, वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत को लू और बाढ़ के खतरों का सामना करना पड़ेगा।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त अंतरसरकारी समिति (आईपीसीसी) की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट (एआर6) ‘क्लाइमेट चेंज 2021: द फिजिकल साइंस बेसिस’ में कहा गया है कि समुद्र के गर्म होने से जल स्तर बढ़ेगा जिससे तटीय क्षेत्रों और निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा भी बढ़ेगा।

आईपीसीसी रिपोर्ट के लेखकों में शामिल डॉ. फ्रेडरिक ओटो ने कहा, ‘‘भारत जैसे देश के लिए लू के प्रकोप में वृद्धि होने के साथ हवा में प्रदूषणकारी तत्वों की मौजूदगी बढ़ेगी और इसे कम करना वायु गुणवत्ता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम गर्म हवा के थपेड़े, भारी वर्षा की घटनाओं और हिमनदों को पिघलता हुआ भी देखेंगे, जो भारत जैसे देश को काफी प्रभावित करेगा। समुद्र के स्तर में वृद्धि से कई प्राकृतिक घटनाएं होंगी, जिसका मतलब उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के आने पर बाढ़ आ सकती है। ये सब कुछ ऐसे परिणाम हैं जो बहुत दूर नहीं हैं।’’

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) में वैज्ञानिक और रिपोर्ट की लेखिका स्वप्ना पनिक्कल ने कहा कि समुद्र के स्तर में 50 प्रतिशत की वृद्धि तापमान में बढ़ोतरी के कारण होगी। उन्होंने कहा, ‘‘हिंद महासागर क्षेत्र तेजी से गर्म हो रहा है। इसका मतलब है कि समुद्र के स्तर में भी तेजी से वृद्धि होगी। इसलिए, तटीय क्षेत्रों में 21वीं सदी के दौरान समुद्र के स्तर में वृद्धि देखी जाएगी। निचले क्षेत्रों और तटीय इलाकों में बाढ़ और भूमि का कटाव बढ़ेगा। इसके साथ, समुद्र के स्तर की चरम घटनाएं जो पहले 100 वर्षों में एक बार होती थीं, इस सदी के अंत तक हर साल हो सकती हैं।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी बढ़ने के साथ, भारी वर्षा की घटनाओं से बाढ़ की आशंका और सूखे की स्थिति का भी सामना करना होगा। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इंसानी दखल के कारण 1970 के दशक से समुद्र गर्म हो रहा है। धरती के बेहद ठंड वाले स्थानों पर भी इसका असर पड़ा है और 1990 के दशक से आर्कटिक समुद्री बर्फ में 40 प्रतिशत की कमी आई है तथा 1950 के दशक से ग्रीष्मकालीन आर्कटिक समुद्री बर्फ भी पिघल रही है।’’

रिपोर्ट के लेखकों ने कहा कि अगले 20-30 वर्षों में भारत में आंतरिक मौसमी कारकों के कारण बारिश में बहुत वृद्धि नहीं होगी लेकिन 21वीं सदी के अंत तक वार्षिक और साथ ही ग्रीष्मकालीन मॉनसून बारिश दोनों में वृद्धि होगी।

पनिक्कल ने कहा कि अगर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में व्यापक पैमाने पर कटौती नहीं की जाती है तो वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री या दो डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना संभव नहीं होगा। रिपोर्ट के अनुसार दो डिग्री तापमान बढ़ने पर भारत, चीन और रूस में गर्मी का प्रकोप बहुत बढ़ जाएगा।

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Web Title: Indian Ocean warming rapidly, heat wave in India, flood risk will increase: IPCC report

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