कोरोना वायरस का भारतीय स्वरूप तेजी से फैलता है, लेकिन इसके घातक होने के बहुत प्रमाण नहीं : विशेषज्ञ

By भाषा | Updated: April 27, 2021 18:27 IST2021-04-27T18:27:56+5:302021-04-27T18:27:56+5:30

Indian form of corona virus spreads rapidly, but there is not much evidence of its fatalities: experts | कोरोना वायरस का भारतीय स्वरूप तेजी से फैलता है, लेकिन इसके घातक होने के बहुत प्रमाण नहीं : विशेषज्ञ

कोरोना वायरस का भारतीय स्वरूप तेजी से फैलता है, लेकिन इसके घातक होने के बहुत प्रमाण नहीं : विशेषज्ञ

नयी दिल्ली, 27 अप्रैल विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस का भारतीय स्वरूप ब्रिटिश स्वरूप के समान ही तेजी से फैल सकता है लेकिन अभी तक इस बात के बहुत कम प्रमाण हैं कि यह मूल वायरस की तुलना में अधिक घातक है।

सार्स-सीओवी2 के बी.1.617 स्वरूप को दोहरा उत्परिवर्तन वाला या भारतीय स्वरूप भी कहा जाता है। यह स्वरूप महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह से प्रभावित महाराष्ट्र और दिल्ली में काफी मिला है।

दिल्ली और महाराष्ट्र में पिछले कुछ हफ्तों में कोरोना वायरस के मामलों में काफी तेजी आयी है और स्वास्थ्य सेवा चरमरा गयी है। दिल्ली के कई अस्पतालों में चिकित्सीय ऑक्सीजन की भारी कमी महसूस की गयी है

इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के निदेशक अनुराग अग्रवाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, "जहां तक ​​हमारी जानकारी है, न तो ब्रिटिश स्वरूप और न ही यह बीमारी या मौत की बढ़ती गंभीरता से जुड़ा है। साबित हो चुका है कि ब्रिटिश स्वरूप तेजी से फैलता है और संभव है कि बी.1.617 स्परूप अधिक तेजी फैल सकता है। लेकिन यह (बी.1.617 स्वरूप का तेजी से फैलना) साबित नहीं हुआ है और इसे साबित करने के लिए कई लक्षण हैं और अध्ययन अभी पूरा नहीं हुआ है।

आईजीआईबी देश भर की 10 प्रयोगशालाओं में से एक है जो वायरस के जीनोम अनुक्रमण में शामिल हैं।

उन्होंने हालांकि कहा कि इस बात की कोई तुलना नहीं है कि किस स्वरूप की प्रसार क्षमता बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के अनुभव को देखते हुए यह स्वरूप तेजी से फैलने वाला लगता है, लेकिन इसका साबित होना बाकी है। उनहोंने कहा कि सामान्य प्रमाणों को देखते हुए यह स्वरूप (बी.1.617) अधिक तेजी से फैल सकता है।

पिछले साल की पहली लहर की अपेक्षा इस बार राज्य में अधिक मौतों के बारे में पूछे जाने पर अग्रवाल ने कहा कि इसका सीधा संबंध इस बात से है कि स्वरूप कितना फैल सकता है और जितने अधिक मरीज संक्रमित होंगे, मृतकों की संख्या भी अधिक होगी।

नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) के निदेशक सौमित्र दास ने कहा कि बी.1.617 स्वरूप के घातक होने के संबंध में अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं है।

एनसीबीएस पश्चिम बंगाल के कल्याणी में स्थित है और यह कोरोना वायरस के जीनोम अनुक्रमण में शामिल 10 संगठनों में से एक है।

दास ने पिछले हफ्ते एक वेबिनार में कहा था कि भारत में पाए जाने वाले विभिन्न स्वरूपों पर उपलब्ध टीके प्रभावी हैं।

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