भारतीय बलों ने डटकर पीएलए का सामना किया, वापस जाने को मजबूर किया :राजनाथ

By भाषा | Updated: December 14, 2020 21:49 IST2020-12-14T21:49:42+5:302020-12-14T21:49:42+5:30

Indian forces strongly confront PLA, forced to return: Rajnath | भारतीय बलों ने डटकर पीएलए का सामना किया, वापस जाने को मजबूर किया :राजनाथ

भारतीय बलों ने डटकर पीएलए का सामना किया, वापस जाने को मजबूर किया :राजनाथ

नयी दिल्ली, 14 दिसम्बर पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सैन्य गतिरोध जारी रहने के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सशस्त्र बलों ने चीनी सेना का ‘‘पूरी बहादुरी’’ के साथ सामना किया और उन्हें वापस जाने को मजबूर किया।

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सात महीने से जारी सैन्य गतिरोध पर केंद्रित अपने बयानों में सिंह ने कहा, ‘‘देश के इतिहास में हर दौर में एक समय आता है जब उसे खुद के लिए खड़े होने की जरूरत होती है, बताना होता है कि वह किसी से भी लड़ सकता है, वह किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम है।’’

उद्योग मंडलों के संगठन ‘फिक्की’ की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि हिमालय की हमारी सीमाओं पर बिना किसी उकसावे के अक्रामकता दिखाती है कि दुनिया कैसे बदल रही है, मौजूदा समझौतों को कैसे चुनौती दी जा रही है।

इस संदर्भ में रक्षा मंत्री ने कहा कि हिमालय ही नहीं बल्कि पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जिस तरह से शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है, उसे देखते हुए क्षेत्र और दुनिया का भविष्य अनिश्चित होता जा रहा है।

किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को तेज करने के बीच राजनाथ सिंह ने सोमवार को जोर देते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र ''मातृ क्षेत्र'' है और इसके खिलाफ कोई भी प्रतिगामी कदम उठाने का सवाल ही नहीं उठता।

सीमापार आतंकवाद का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने ऐसे समय में अकेले भी इस समस्या का मुकाबला किया है जब कोई उसके समर्थन के लिए नहीं था, लेकिन बाद में दुनियाभर के देशों ने समझा कि ‘‘हमारी बात सही है कि पाकिस्तान आतंकवाद का स्रोत है’’।

चीन के साथ लंबे खिंच रहे सीमा गतिरोध पर सिंह ने कहा कि भारत की भावी पीढ़ियों को इस साल सशस्त्र बलो की उपलब्धि पर गर्व होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘परीक्षा की इस घड़ी में हमारे बलों ने अनुकरणीय साहस और उल्लेखनीय धैर्य दिखाया है। उन्होंने पीएलए (जन मुक्ति सेना) का पूरी बहादुरी से सामना किया और उन्हें वापस जाने को मजबूर किया। हमारे बल ने इस साल जो हासिल किया, उस पर देश की आने वाली पीढ़ियों को गर्व होगा।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि जब दुनिया घातक कोरोना वायरस से जूझ रही थी तब भारत के सशस्त्र बल बहादुरी से अपनी सरहदों की रक्षा कर रहे थे और कोई वायरस उन्हें उनके कर्तव्य पथ से डिगा नहीं सकता।

सिंह ने कहा, ‘‘ हिमालय की हमारी सीमाओं पर बिना किसी उकसावे के अक्रामकता दिखाती है कि दुनिया कैसे बदल रही है, मौजूदा समझौतों को कैसे चुनौती दी जा रही है, केवल हिमालय में ही नहीं बल्कि हिंद-प्रशांत में भी आक्रामकता दिखायी जा रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ और इस पृष्ठभूमि में क्षेत्र और दुनिया का भविष्य कितना अनिश्चित हो सकता है। जैसा कि आपको पता है कि लद्दाख में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर सशस्त्र बल की भारी तैनाती है।’’

सिंह ने कहा कि भारतीय सेना और चीनी सेना की संख्या की तुलना हो सकती है लेकिन जब सॉफ्ट पॉवर की बात आती है तो भारत इस मामले में चीन से बहुत आगे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब भी एलएसी पर ऐसे हालात होते हैं तो जाहिर तौर पर भारत और चीन की सेना की शक्ति की तुलना होती है। लेकिन मैं इस पर नहीं जाना चाहता। किसके पास ज्यादा सैन्य शक्ति है, इस पर गंभीर चर्चा हो सकती है लेकिन जब सॉफ्ट पॉवर की बात आती है तो किसी तरह की अस्पष्टता नहीं है।’’

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘जब विचारों के साथ दुनिया का नेतृत्व करने की बात है तो भारत इस मामले में चीन से बहुत आगे है। आप म्यामां से लेकर थाइलैंड तक और इंडोनेशिया से लेकर मलेशिया और जापान तक पूर्वी एशिया को देखें तो इन सभी देशों पर गहरा भारतीय सांस्कृतिक असर है।’’

सिंह ने कहा कि चीन में बौद्ध धर्म का इतना व्यापक असर था कि 1949 की क्रांति से पहले चीन की लगभग 80 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म का अनुसरण करती थी।

सीमा पार से आतंकवाद से भारत के पीड़ित होने पर उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देश समझते हैं कि भारत सही कहता है कि पाकिस्तान आतंकवाद का जनक है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं, फिर भी इस खतरे से अकेले लड़ते रहे जब कोई हमारा समर्थन करने वाला नहीं था, उन्होंने समझा कि हम ठीक कहते हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद का जनक है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘और अब फिर से हमारे बहादुर सैनिक बर्फीली हवाओं का सामना करते हुए और अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए वहां डटे हुए हैं।’’

घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ाने की सरकार की पहलों का जिक्र करते हुए उन्होंने पूछा कि क्या भारतीय उद्योग सही प्रौद्योगिकी लाने के लिए सशस्त्र बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो सकते हैं।

किसान आंदोलन का परोक्ष जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि ‘‘हमारे द्वारा कृषि क्षेत्र के लिए प्रतिगामी कदम उठाने’’ का कोई सवाल ही नहीं उठता।

सिंह ने कहा, ‘‘ हाल ही में किए सुधार किसानों के सर्वोच्च हित को ध्यान में रखकर किए गए हैं। हालांकि, हम हमेशा अपने किसान भाइयों की बातें सुनने के लिए तैयार रहते हैं, उनकी गलतफहमियों को दूर करते हैं...।’’

उन्होंने कृषि को ‘‘मातृ क्षेत्र’’ बताते हुए कहा कि सरकार मुद्दों को हल करने के लिए चर्चा और बातचीत के लिए हमेशा तैयार है।

सिंह ने कहा, ‘‘ कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जो कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के प्रतिकूल प्रभावों से बचने में सक्षम रहा। हमारी उपज और खरीद भरपूर है और हमारे गोदाम भरे हुए हैं। कभी भी हमारे कृषि क्षेत्र के खिलाफ प्रतिगामी कदम उठाने का कोई सवाल ही नहीं उठता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज का भारत 1950 के दशक या 1960 के दशक से अलग है। हमारे व्यवसाय, आप जैसे लोग, सभी अपने क्षेत्र में चैंपियन हैं। आपके पास विश्वास है-- जो भारत एवं विदेशों में बड़ी सफलता से आया है--साथ ही निर्णय प्रभावित करने के वैश्विक पहुंच से आया है।’’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में रक्षा क्षेत्र के लिए कई सुधारों की घोषणा की थी।

उन्होंने भारतीय उद्योग जगत के प्रमुखों से कहा, ‘‘वहीं देश विजयी होता है जो न केवल चुनौतियों का सामना करता है बल्कि इसे अवसर में बदल देता है, तरीके को बदल देता है और समृद्धि, सुरक्षा तथा शांति के लिए नई हकीकत का सृजन करता है। हमें यही रक्षा क्षेत्र में करने की जरूरत है।’’

सिंह ने कहा कि यह ठीक नहीं है कि दुनिया के सबसे बड़े सशस्त्र बलों में शामिल देश महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आयात पर निर्भर है।

उन्होंने कहा, ‘‘रक्षा उत्पादन में हमने कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, काफी कुछ किया जा सकता है और किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने निजी क्षेत्र से घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत करने को कहा।

कोराना वायरस महामारी के प्रभाव और देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष के पहले पांच महीने में भारत में सर्वाधिक 35.73 अरब डॉलर का विदेश प्रत्यक्ष निवेश आया जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 13 फीसदी ज्यादा है।

कोविड-19 पर उन्होंने कहा कि महामारी अपने साथ ‘‘व्यापक अनिश्चितता’’ लेकर आयी और भारत भी इससे काफी प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत जैसे देश के लिए गंभीर चुनौती है जो देशों के बीच अपनी सही जगह हासिल करने का प्रयास कर रहा है।’’

सिंह ने कहा कि कोरोना के बाद की दुनिया पहले जैसी नहीं रहने वाली है और बड़ी चुनौतियां आने वाली हैं और इनसे निपटने के लिए धैर्य और प्रतिबद्धता की जरूरत होगी।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों का निर्माण केंद्र बनने की संभावना है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Indian forces strongly confront PLA, forced to return: Rajnath

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे