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India China Clash: भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के पास सामरिक ऊंचाई पर चीनी सेना के कब्जा करने के प्रयास को किया विफल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 1, 2020 05:46 IST

पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच फोन पर बातचीत के बाद छह जुलाई को दोनों पक्षों की ओर से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। लेकिन, इस मामले में अधिक सफलता नहीं मिली है।

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ठळक मुद्देभारत और चीन ने पिछले ढाई महीने में सैन्य और राजनयिक स्तर की कई दौर की बातचीत की है लेकिन पूर्वी लद्दाख मुद्दे पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में दावा किया कि चीन के सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का कड़ाई से पालन करते हैं।चीन की सेना की पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता सीनियर कर्नल झांग शुई ने आरोप लगाया कि 31 अगस्त को भारतीय सेना ने दोनों पक्षों के बीच पूर्व की वार्ताओं के दौरान बनी सहमति को तोड़ा है।

नई दिल्ली: भारतीय सेना ने समय रहते चीनी सेना के मंसूबे को पहचान लिया था। ऐसे में भारतीय सेना ने विकास रेजिमेंट बटालियन को उत्तराखंड से पैंगोंग लेक के दक्षिणी तट के पास तैनात किया। बटालियन ने एक स्ट्रैटेजिक हाइट पर कब्जा कर लिया, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के क्षेत्र में निष्क्रिय था।

चीनी ये भी दावा करता है कि यह क्षेत्र उनके क्षेत्र में स्थित है। चीनियों का इरादा उस ऊंचाई पर कब्जा करना था। इसे कब्जे में रखने वाले पक्ष को झील और आसपास के दक्षिणी तट को नियंत्रित करने में रणनीतिक लाभ मिल सकता है।

भारतीय सेना ने सोमवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन की सेना ने नए घटनाक्रम में 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात को पैंगोंग सो (झील) के दक्षिणी किनारे पर यथास्थिति को ‘‘एकतरफा’’ ढंग से बदलने के लिए ‘‘भड़काऊ सैन्य गतिविधि’’ की, लेकिन भारतीय सैनिकों ने उसके इस प्रयास को विफल कर दिया।

सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर सैन्य और राजनयिक स्तर की बातचीत के जरिए बनी पिछली आम सहमति का ‘‘उल्लंघन’’ किया तथा यथास्थिति बदलने के लिए भड़काऊ सैन्य गतिविधि की।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि क्षेत्र पर कब्जा करने के प्रयास के तहत बड़ी संख्या में चीनी सैनिक पैंगोंग सो (झील) के दक्षिणी किनारे की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन भारतीय सैनिकों ने प्रयास को विफल करने के लिए तुरंत अच्छी-खासी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर दी। उन्होंने बताया कि नया मोर्चा खोलने के चीन के प्रयास के दौरान दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच कोई शारीरिक संघर्ष नहीं हुआ। दोनों पक्षों के बीच पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे पर तनातनी लंबे समय से जारी है, लेकिन यह पहली बार है जब तनातनी की घटना झील के दक्षिणी किनारे पर हुई है।

गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़प के बाद यह पहली बड़ी घटना है। गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इस झड़प में चीन के सैनिक भी मारे गए, लेकिन उसने इस संबंध में अब तक जानकारी साझा नहीं की है।

अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में चीन के 35 सैनिक मारे गए थे। कर्नल आनंद ने एक बयान में कहा कि भारतीय सेना ने जमीनी तथ्यों को ‘‘एकतरफा’’ ढंग से बदलने के चीन के इरादों को विफल कर दिया और क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत करने के लिए कदम उठाए। उन्होंने कहा, ‘‘पीएलए सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात को पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर सैन्य और राजनयिक बातचीत के जरिए बनी पिछली आम सहमति का ‘‘उल्लंघन’’ किया तथा यथास्थिति बदलने के लिए भड़काऊ सैन्य गतिविधि की।’’

सेना के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘भारतीय सैनिकों ने पैंगोंग सो (झील) के दक्षिणी किनारे पर पीएलए की गतिविधि को पहले ही विफल कर दिया, सेना ने हमारी स्थिति को मजबूत करने और जमीनी तथ्यों को एकतरफा बदलने के चीनी इरादों को विफल करने के लिए उपाय भी किए।’’ उन्होंने कहा कि मुद्दे के समाधान के लिए चुशूल में ब्रिगेड कमांडर स्तर की बैठक चल रही है। प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय सेना बातचीत के माध्यम से शांति और स्थिरता बनाए रखने को प्रतिबद्ध है, लेकिन साथ ही देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए भी उतनी ही प्रतिबद्ध है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों सहित शीर्ष रणनीतिक एवं सैन्य नेतृत्व को चीन के प्रयास के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। वहीं, पैंगोंग सो क्षेत्र में हुए ताजा घटनाक्रम के बारे में एक जापानी पत्रकार के सवाल में जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में दावा किया कि चीन के सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का कड़ाई से पालन करते हैं और कभी सीमा को पार नहीं करते। उन्होंने कहा कि जमीनी मुद्दों के संबंध में दोनों देशों के सीमा प्रहरी एक-दूसरे के करीबी संपर्क में रहे हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या मुद्दे के समाधान के लिए कोई बैठक चल रही है, लिजान ने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने कहा कि दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य माध्यमों से करीबी संपर्क में रहते हैं। किसी विशिष्ट बैठक या वार्ता की बात है तो, यदि कुछ होगा तो हम इसे समय पर जारी करेंगे।’’ उधर, चीन की सेना की पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता सीनियर कर्नल झांग शुई ने आरोप लगाया कि 31 अगस्त को भारतीय सेना ने दोनों पक्षों के बीच पूर्व की वार्ताओं के दौरान बनी सहमति को तोड़ा तथा पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे एवं राकिन दर्रे के पास सीमा रेखा को अवैध रूप से पार किया जो ‘‘स्पष्ट तौर पर भड़काऊ कार्रवाई’’ है और इससे सीमा पर तनाव है।

(पीटीआई व एएनआई इनपुट के आधार पर )

शिन्हुआ समाचार एजेंसी द्वारा जारी झांग के बयान में कहा गया कि चीनी सेना आवश्यक जवाबी कदम उठा रही है और वह चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए घटनाक्रम तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता पर करीब से नजर रखेगी। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने दिल्ली में कहा कि भारत ने चीन के कदम को ‘‘गंभीरता’’ से लिया है तथा सेना ने चीन की इस कार्रवाई के बाद पैंगोंग सो के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों पर अपने सैनिकों एवं अस्त्र-शस्त्रों की तैनाती और अधिक बढ़ा दी है।

उन्होंने कहा कि ताजा घटनाक्रम ने सेना की इस सोच को और मजबूत किया है कि चीन विवाद वाली जगहों से अपने सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर गंभीर नहीं है तथा वह अब भी एलएसी पर नए क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है। भारत और चीन ने पिछले ढाई महीने में सैन्य और राजनयिक स्तर की कई दौर की बातचीत की है लेकिन पूर्वी लद्दाख मुद्दे पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।

पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच फोन पर बातचीत के बाद छह जुलाई को दोनों पक्षों की ओर से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। यह प्रक्रिया मध्य जुलाई से आगे नहीं बढ़ी है। 

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