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राफेल विमानों के स्वागत के लिए वायुसेना 'चुपचाप' कर रही है तैयारी

By भाषा | Updated: September 9, 2018 17:31 IST

फ्रांस के साथ 58,000 करोड़ रूपयों की लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये सितंबर 2016 में भारत ने एक अंतर सरकारी समझौता किया था।

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नई दिल्ली, 9 सितंबर: राफेल सौदे को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच भारतीय वायुसेना गुपचुप तरीके से इन लड़ाकू विमानों के स्वागत की तैयारियों में जुटी है जिनमें इनके लिये जरूरी आधारभूत संरचना और पायलटों का प्रशिक्षण शामिल है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना इस साल के अंत तक पायलटों के एक दल को राफेल विमानों पर प्रशिक्षण के लिए फ्रांस भेजेगी।

वायुसेना के कई दल पहले ही राफेल विमानों के निर्माता दसाल्ट एविएशन को भारतीय विशिष्टताओं को इस विमान में शामिल करने में मदद के लिये फ्रांस का दौरा कर चुके हैं। 

फ्रांस के साथ 58,000 करोड़ रूपयों की लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये सितंबर 2016 में भारत ने एक अंतर सरकारी समझौता किया था। कई हथियारों और प्रक्षेपास्त्रों को ले जाने में सक्षम इन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति अगले साल सितंबर से शुरू होनी है। 

सूत्रों ने कहा कि दसाल्ट एविएशन भारत को आपूर्ति किये जाने वाले विमानों की परीक्षण उड़ान भी शुरू कर दी है और कंपनी को विमानों की आपूर्ति के लिये समयसीमा का सख्ती से अनुपालन करने को कहा गया है। 

राफेल विमान भारत केंद्रित बदलावों के साथ आएंगे जिनमें इस्राइली हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले, रडार चेतावनी रिसीवर, लो-बैंड जैमर्स, 10 घंटे की फ्लाइट डेटा रिकार्डिंग, इंफ्रारेड सर्च और ट्रैकिंग सिस्टम समेत कई खूबियां शामिल होंगी। 

सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायुसेना के पायलटों का एक दल पहले ही राफेल विमानों पर फ्रांस में प्रशिक्षण ले चुका है और इस साल के अंत तक एक बार फिर वहां जाएंगे।

कांग्रेस ने विमान के दाम समेत इस करार को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं जबकि सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है। 

सूत्रों ने कहा कि विमानों की पहली स्क्वाड्रन की तैनाती अंबाला वायुसैनिक अड्डे पर की जाएगी जिसे रणनीतिक रूप से वायुसेना का बेहद महत्वपूर्ण अड्डा माना जाता है। भारत-पाक सीमा वहां से 220 किलोमीटर दूर है।

राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन की तैनाती पश्चिम बंगाल के हासीमारा बेस पर की जाएगी।

अधिकारी ने कहा कि सरकार ने दोनों बेसों पर शेल्टर, हैंगर और रखरखाव की दूसरी सुविधाओं के निर्माण के लिये पहले ही 400 करोड़ रूपये की रकम मंजूर कर दी है। 

सूत्रों ने कहा कि फ्रांस भारत को नियमित रूप से विमानों की आपूर्ति की परियोजना की प्रगति के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहा है। 

पिछले साल जुलाई में वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल बी एस धनोआ ने अपने फ्रांस दौरे के दौरान राफेल विमान उड़ाया था।

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