surgical strike 2: पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी दे रहे थे बालाकोट में आतंकियों को ट्रेनिंग
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 27, 2019 13:16 IST2019-02-27T13:16:19+5:302019-02-27T13:16:19+5:30
Indian Air Force Aerial Strike: गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि बालाकोट में जैश के आतंकी कैंप को युद्ध जैसी तैयारी के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

बालाकोट में भारतीय वायुसेना के हमले के बाद मौके का मुआयना करते पाकिस्तानी रेंजर्स।
Indian Air Force Aerial Strike: पाकिस्तानी सरकार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दावा करती रही है लेकिन मंगलवार (26 फरवरी) को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में आतंकियों के ठिकानों पर भारतीय वायुसेना के एयर स्ट्राइक से पड़ोसी मुल्क के नापाक मंसूबे एक बार फिर उजागर हो गए।
आतंकवादियों को संरक्षण देने वाला पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हो गया। हैरानी वाली बात है कि पाकिस्तानी सरकार न सिर्फ आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया करा रही है बल्कि आतंकी संगठन में शामिल होने वाले आतंकियों को पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी भी ट्रेनिंग दे रहे थे। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि खैबर पख्तूनख्वा की कुनहार नदी किनारे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप का आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन भी इस्तेमाल कर रहा था।
सूत्रों ने इस बात की संभावना जताई है कि कैंप में सैकड़ों आतंकी रह रहे थे और उन्हें जल मार्ग के जरिये गतिविधियों को अंजाम देने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। गृह मंत्रालय के सूत्रों के हवाले अंग्रेजी अखबार ने लिखा है कि बालाकोट से 20 किलोमीटर दूर कैंप में युद्ध जैसी तैयारी को अंजाम दिया जा रहा था और यहां के आतंकियों को पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी प्रशिक्षण दे रहे थे।
सूत्रों ने बताया कि आतंकियों का ब्रेनवॉश करने के लिए जैश-ए-मोहम्मद सरगना मौलाना मसूद अजहर समेत अन्य लोग कई मौकों पर नए आतंकियों को भड़काऊ भाषणों के जरिये उकसाते थे।
सूत्रों ने बताया कि मसूद अजहर के रिश्तेदारों और काडरों को यहां उन्नत हथियारों और रणनीति के जरिये प्रशिक्षण दिया जा रहा था और जैश की स्थापना से पहले हिज्बुल मुजाहिदीन कैंप का इस्तेमाल कर रहा था। बालाकोट कैंप में, आतंकवादियों को हथियारों, विस्फोटकों, युद्ध रणनीति, सुरक्षा बलों के काफिलों पर हमला करने, आईईडी लगाने, आत्मघाती बम बनाने, आत्मघाती हमले करने और भयंकर हालातों में जीवित रहने की खास 'दौरा-ए-खास' ट्रेनिंग दी जा रही थी। अधिकारियों ने बताया कि जैश आत्मघाती हमलों में माहिर है और धार्मिक और वैचारिक ब्रेनवॉशिंग को ज्यादा महत्व देता है।