भारत को अब भी असमानताओं, गरीबी, नस्लीय भेदभाव की बेड़ियों से मुक्त होना है : विजयन

By भाषा | Updated: August 15, 2021 12:34 IST2021-08-15T12:34:46+5:302021-08-15T12:34:46+5:30

India still has to be free from the shackles of inequalities, poverty, racial discrimination: Vijayan | भारत को अब भी असमानताओं, गरीबी, नस्लीय भेदभाव की बेड़ियों से मुक्त होना है : विजयन

भारत को अब भी असमानताओं, गरीबी, नस्लीय भेदभाव की बेड़ियों से मुक्त होना है : विजयन

तिरुवनंतपुरम, 15 अगस्त केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सोशल मीडिया पर अपने संदेश में कहा कि भारत ने स्वतंत्रता के बाद बहुत सी उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन आर्थिक असमानताओं, गरीबी, महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफलता और धार्मिक सांप्रदायिकता के खतरों की “बेड़ियों” से देश को अब भी आजादी मिलना बाकी है।

मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट से लोगों से देश को इन बेड़ियों से मुक्त कराने और “स्वतंत्रता के अर्थ को उसकी संपूर्ण महिमा में पुनः प्राप्त करने” की प्रतिज्ञा लेने का आह्वान किया।

उन्होंने ट्वीट किया, “आज हम संकल्प लें कि हम अपने देश को गरीबी, जातिगत भेदभाव, लैंगिक असमानता, सांप्रदायिक विचारधाराओं, संप्रदायवाद और सभी सामाजिक अन्यायों की बेड़ियों से मुक्त करेंगे और स्वतंत्रता के अर्थ को उसकी महिमा में पुनः प्राप्त करेंगे। स्वतंत्रता दिवस की बधाई।”

उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं भी पोस्ट कीं जिसमें उन्होंने कहा, "एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में, हमने कई चीजें हासिल की हैं। कई क्षेत्रों में अभी भी सुधार की गुंजाइश है। देश में आर्थिक और सामाजिक असमानताएं प्रबल हैं। गरीबी समाप्त नहीं हुई है।”

विजयन ने कहा, “देश महिलाओं की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी पिछड़ रहा है। नस्ली भेदभाव और उत्पीड़न जारी है। धार्मिक संप्रदायवाद एक बड़े खतरे में बदल गया है। युवाओं की एक महत्वपूर्ण आबादी बेरोजगार है। किसानों सहित आम लोगों को अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ता है।"

मुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि ऐसे वक्त में, 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोहों को एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र में बदलने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जैसा हमारा संविधान समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की कल्पना करता है।

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Web Title: India still has to be free from the shackles of inequalities, poverty, racial discrimination: Vijayan

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