प्रौद्योगिकी को अपनाने में भारत आज दुनिया के किसी भी देश से पीछे नहीं: मोदी

By भाषा | Updated: August 2, 2021 17:52 IST2021-08-02T17:52:43+5:302021-08-02T17:52:43+5:30

India is not lagging behind any other country in the world today in adopting technology: Modi | प्रौद्योगिकी को अपनाने में भारत आज दुनिया के किसी भी देश से पीछे नहीं: मोदी

प्रौद्योगिकी को अपनाने में भारत आज दुनिया के किसी भी देश से पीछे नहीं: मोदी

नयी दिल्ली, दो अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि प्रौद्योगिकी को अपनाने में भारत आज दुनिया के किसी भी देश से पीछे नहीं है और वह नवोन्मेष तथा सेवा प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के मामले में वैश्विक नेतृत्व की क्षमता रखता है।

प्रधानमंत्री ने यह बात डिजिटल भुगतान समाधान ‘‘ई-रुपी’’ लॉन्च करने के बाद अपने संबोधन में कही।

उन्होंने कहा कि आज सरकार प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से 300 से ज्यादा योजनाओं को लाभार्थियों को उपलब्ध करा रही है और करीब 90 करोड़ लोगों को इसका फायदा मिल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक लाख पैंतीस हजार करोड़ रुपये अब तक सीधे बैंक खातों में पहुंचाए गए हैं। इस बार सरकार ने खाद्यान्नों की खरीदी की है और उसके लगभग 85 हजार करोड़ रुपये सीधे किसानों के खातों में हस्तांतरित किए गए हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से सरकार ने तकरीबन पौने दो करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बचाए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत आज दुनिया को दिखा रहा है कि प्रौद्यागिकी को अपनाने में वह किसी से भी पीछे नहीं हैं। नवोन्मेष की बात हो , सर्विस डिलीवरी में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की, भारत दुनिया के बड़े देशों के साथ मिलकर ग्लोबल लीडरशिप देने की क्षमता रखता है।’’

मोदी ने कहा कि भारत ने अपनी प्रगति को जो गति दी है, उसमें भी प्रौद्योगिकी की भूमिका बहुत अहम है।

कोविड महामारी के दौरान प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से लोगों को मदद पहुंचाने के लिए तैयार किए आरोग्य सेतु एप और टीकाकरण के लिए बनाए गए कोविन पोर्टल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के लोगों को इनका फायदा मिल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर पुरानी व्यवस्था चल रही होती तो टीका लगाने के बाद प्रमाणपत्र के लिए लोगों को भागदौड़ करनी पड़ती। भारत का कोविन मंच आज दुनिया को आकर्षित कर रहा है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि इन बदलावों का सबसे अधिक फायदा देश के गरीब, पिछड़े और वंचित समुदायों को मिल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘देश में डिजिटल संसाधन और डिजिटल लेनदेन के लिए जो काम पिछले छह-सात वर्षों में हुआ है, उसका लोहा आज दुनिया मान रही है। विशेषकर भारत में फिनटेक का बहुत बड़ा आधार तैयार हुआ है। ऐसा आधार तो बड़े-बड़े देशों में भी नहीं है।’’ विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि पहले हमारे देश में कुछ लोग कहते थे कि प्रौद्योगिकी तो केवल अमीरों की चीज है।

उन्होंने कहा, ‘‘वह कहते थे कि भारत तो गरीब देश है इसलिए भारत के लिए प्रौद्योगिकी का क्या काम...जब हमारी सरकार प्रौद्यागिकी को मिशन बनाने की बात करती थी तो बहुत से राजनेता, कुछ खास किस्म के एक्सपर्ट्स उस पर सवाल खड़ा करते थे। लेकिन आज देश ने उन लोगों की सोच को नकारा भी है, और गलत भी साबित किया है। आज देश की सोच अलग है, नई है। आज हम प्रौद्योगिकी को गरीबों की मदद के, उनकी प्रगति के एक टूल के रूप में देख रहे हैं।’’

‘ई-रुपी’ डिजिटल भुगतान के लिए एक कैशलेस और संपर्क रहित माध्यम है।

‘‘ई-रुपी’’ को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से विकसित किया है।

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