अमेरिका के भंडारों में तेल रखने पर गौर कर रहा भारत, रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण में करेंगे सहयोग

By भाषा | Updated: July 18, 2020 05:31 IST2020-07-18T05:31:39+5:302020-07-18T05:31:39+5:30

रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी के जरिये अमेरिका और भारत का मकसद सामूहिक रूप से ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा का विस्तार तथा विभिन्न ऊर्जा क्षेत्रों में नवप्रवर्तन व्यवस्था, रणनीतिक गठजोड़ को सुदृढ़ करना और ऊर्जा क्षेत्र में उद्योग तथा संबंधित पक्षों की भागीदारी को सुगम बनाना है।

India is considering keeping oil in US reserves, will cooperate in strategic petroleum storage | अमेरिका के भंडारों में तेल रखने पर गौर कर रहा भारत, रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण में करेंगे सहयोग

पूर्वी और पश्चिमी तट पर स्थित इन भंडार केंद्रों से केवल 9.5 दिनों की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।

Highlightsभारत के रणनीतिक तेल भंडार बढ़ाने के लिये कच्चा तेल अमेरिका के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार में रखने के लिये बातचीत कर रहे हैंअमेरिका के पास रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार में 71.4 करोड़ बैरल तेल भंडारण क्षमता है।

नयी दिल्ली: पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि भारत किसी प्रकार की आपूर्ति बाधा या कीमत वृद्धि की स्थिति से निपटने के लिये अपना कच्चा तेल अमेरिका के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारों में रखने को लेकर बातचीत कर रहा है और यह बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण पर सहयोग को लेकर सहमति पत्र पर दस्तखत किये हैं।

प्रधान ने अमेरिका के ऊर्जा मंत्री डैन ब्रोइलेट के साथ वीडयो कांफ्रेन्सिंग के जरिये भारत-अमेरिका रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी मंत्रीस्तरीय बैठक की सह-अध्यक्षता के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम भारत के रणनीतिक तेल भंडार बढ़ाने के लिये कच्चा तेल अमेरिका के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार में रखने के लिये बातचीत कर रहे हैं और यह काफी आगे बढ़ चुकी है।’’ अमेरिका के पास रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार में 71.4 करोड़ बैरल तेल भंडारण क्षमता है।

यह संकट के समय कच्चे तेल के लिये दुनिया की सबसे बड़ी आपूर्ति व्यवस्था है। इसकी तुलना में भारत में तीन जगहों पर भूमिगत भंडारण क्षमता 53.3 लाख टन (करीब 3.8 करोड़ बैरल) है। पूर्वी और पश्चिमी तट पर स्थित इन भंडार केंद्रों से केवल 9.5 दिनों की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने अपने सदस्यों को रणनीतिक भंडार के रूप में कम-से-कम 90 दिन का स्टॉक रखने का सुझाव दिया हुआ है।

भारत भंडारण क्षमता बढ़ाने पर ध्यान देता रहा है और वह अमेरिका में कुछ तेल रखने के लिये भंडारण क्षमता किराये पर लेने की संभावना भी टटोल रहा है ताकि कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव या आपूर्ति बाधित होने पर इसका उपयोग किया जा सके। ब्रोइलेट ने कहा, ‘‘हम रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार के क्षेत्र में भी सहयोग शुरू कर रहे हैं। यह ऊर्जा सुरक्षा के लिये महत्पूर्ण तत्व है... हम नवीकरणीय ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, इमारतों, उपकरणों और औद्योगिक क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि दोनों देश हाइड्रोजन के क्षेत्र में भी सहयोग पर गौर कर रहे हैं। ‘‘यह दो देशों के बीच भागीदारी है...जब अमेरिका और भारत के बीच संबंधों की बात आती है, आर्थिक रूप से और ऊर्जा के नजरिये से अभी बेहतर परिणाम आना बाकी है।’’ अमेरिकी मंत्री ने कहा कि भारत को अमेरिका की तेल आपूर्ति 2017 से 2019 के बीच 10 गुना बढ़कर 2,50,000 बैरल प्रति दिन हो गई है। भारत के लिये अमेरिका छठा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। इस मौके पर प्रधान ने कहा कि रणनीततिक ऊर्जा भागीदारी में सहयोग के चार प्राथमिक स्तंभ हैं... तेल और गैस, बिजली और ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा और सतत वृद्धि।

रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी के जरिये अमेरिका और भारत का मकसद सामूहिक रूप से ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा का विस्तार तथा विभिन्न ऊर्जा क्षेत्रों में नवप्रवर्तन व्यवस्था, रणनीतिक गठजोड़ को सुदृढ़ करना और ऊर्जा क्षेत्र में उद्योग तथा संबंधित पक्षों की भागीदारी को सुगम बनाना है। उन्होंने कहा कि अमेरिका-भारत गैस कार्यबल बल का गठन किया गया है। प्रधान ने कहा, ‘‘द्विपक्षीय हाइड्रोकार्बन व्यापार अकेले 2019-20 में 9.2 अरब डॉलर पहुंच गया है।

यह द्विपक्षीय व्यापार का 10 प्रतिशत है। हम दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा में उल्लेखनीय कमी देख रहे हैं।’’ दूसरा भारत-अमेरिका रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी मंत्रीस्तरीय बैठक पहले इस साल अप्रैल में वाशिंगटन में होना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था। 

Web Title: India is considering keeping oil in US reserves, will cooperate in strategic petroleum storage

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