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भारत को बदलती दुनिया, युद्ध के बदलते तरीकों के अनुरूप अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ानी होंगी: मोदी

By भाषा | Updated: November 4, 2021 17:16 IST

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नौशेरा (जम्मू-कश्मीर), चार नवंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि पहले के समय के विपरीत लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश और जैसलमेर से अंडमान निकोबार द्वीप समूह तक सीमा और तटीय क्षेत्रों में सम्पर्क स्थापित किया गया है। मोदी ने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि सीमा पर आधुनिक बुनियादी ढांचे से देश की सैन्य क्षमताओं में वृद्धि होगी।

मोदी ने दिवाली के अवसर पर जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में सैनिकों को संबोधित करते हुए 2016 में नियंत्रण रेखा के पार आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक में ब्रिगेड द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि भले ही हमलों के बाद क्षेत्र में शांति भंग करने के लिए असंख्य प्रयास किए गए हों लेकिन हर बार आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब दिया गया।

उन्होंने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि भारत को बदलती दुनिया और युद्ध के बदलते तरीकों के अनुरूप अपनी सैन्य क्षमताएं विकसित करनी होंगी। उन्होंने कहा कि सम्पर्क बढ़ाने और सैनिकों की तैनाती के लिए आधुनिक सीमा बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है।

सैनिकों की वीरता की सराहना करते हुए, मोदी ने कहा कि वे 'मां भारती' के 'सुरक्षा कवच' हैं और उनकी वजह से ही देश के लोग चैन की नींद सो पाते हैं और त्योहारों के दौरान खुशी होती है।

2016 के सर्जिकल स्ट्राइक में यहां ब्रिगेड की भूमिका की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी भूमिका देश के लोगों को गर्व से भर देती है।

मोदी ने कहा, ‘‘मैं उस दिन को हमेशा याद रखूंगा क्योंकि यह तय किया गया था कि सभी सैनिक सूर्योदय से पहले लौट आएंगे और मैं यह जानने के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहा था कि क्या मेरे सभी जवान वापस आ गए हैं। किसी के हताहत हुए बिना, सभी बहादुर लौट आए और विजेता के रूप में सामने आए।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद क्षेत्र में शांति भंग करने के लिए असंख्य प्रयास किए गए और प्रयास अभी भी किए जा रहे हैं, लेकिन हर बार आतंकवाद को "मुंहतोड़ जवाब" दिया गया है।

भारत ने जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में एक सैन्य अड्डे पर आतंकवादी हमले के जवाब में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार 29 सितंबर, 2016 को आतंकवादी ठिकानों पर सर्जिकल हमला किया था।

मोदी ने कहा कि देश की आजादी की रक्षा की जिम्मेदारी सभी की है और आज का भारत आजादी के अमृत काल में अपनी क्षमताओं और संसाधनों से वाकिफ है। उन्होंने रक्षा संसाधनों में बढ़ती 'आत्मनिर्भरता' के महत्व को भी रेखांकित किया, जो पहले विदेशों पर निर्भरता की अवधि और रक्षा खरीद के लिए लगने वाले लंबे समय के विपरीत है।

उन्होंने कहा कि रक्षा बजट का 65 प्रतिशत देश के अंदर इस्तेमाल किया जा रहा है और कहा कि 200 उत्पादों की एक सूची तैयार की गई है जो केवल स्वदेशी रूप से खरीदे जाएंगे। उन्होंने कहा कि जल्द ही सूची का विस्तार किया जाएगा।

मोदी ने विजयादशमी पर शुरू की गई सात नयी रक्षा कंपनियों के बारे में भी बात की और कहा कि रक्षा गलियारे भी बन रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत के युवा जीवंत रक्षा संबंधी स्टार्टअप में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह सब रक्षा निर्यातक के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।

मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि आधुनिक सीमा अवसंरचना देश की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने के संबंध में कैसे काम किया गया, यह लोगों को पता है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक और जैसलमेर से लेकर अंडमान-निकोबार तक देशभर के सीमावर्ती इलाकों में सम्पर्क स्थापित किया गया है।’’

मोदी ने कहा कि जिन सीमावर्ती एवं तटीय क्षेत्रों में सामान्य संपर्क की कमी थी, वहां सड़क, सुरंगों और आप्टिकल फाइबर का जाल बिछाया जा रहा है तथा इससे सेना की तैनाती की क्षमता और जवानों के लिए सुविधाओं में अभूतपूर्व सुधार हो रहा है।

यहां ब्रिगेड की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि क्षेत्र हमलावरों और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ मजबूती से खड़ा है। उन्होंने नौशेरा के नायकों- ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और नायक जदुनाथ सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया।

उन्होंने लेफ्टिनेंट आर आर राणे और अन्य बहादुरों को भी सलाम किया जिन्होंने वीरता और देशभक्ति की अभूतपूर्व मिसाल कायम की।

दिवाली पर सैनिकों के साथ अपनी मुलाकातों के बारे में बात करते हुए, मोदी ने कहा कि हर कोई अपने परिवार के साथ त्योहार मनाना चाहता है और वह यहां प्रधानमंत्री के रूप में नहीं बल्कि परिवार के सदस्य के रूप में आये हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि तेजी से बदलते प्रौद्योगिकी परिदृश्य ने नए बदलावों की मांग की है और इसलिए एकीकृत सैन्य नेतृत्व में समन्वय सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रमुख रक्षा अध्यक्ष और सैन्य मामलों का विभाग उस दिशा में कदम है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी खुशी जताई कि देश की रक्षा में महिलाओं की भागीदारी नई ऊंचाइयों को छू रही है। उन्होंने कहा कि नौसेना और वायुसेना में अग्रिम मोर्चे पर तैनाती के बाद अब सेना में भी महिलाओं की भूमिका का विस्तार हो रहा है।

स्थायी कमीशन, एनडीए, नेशनल मिलिट्री स्कूल, नेशनल इंडियन मिलिट्री कॉलेज फॉर विमेन खोलने के साथ, प्रधानमंत्री ने लड़कियों के लिए सैनिक स्कूल खोलने की अपनी स्वतंत्रता दिवस की घोषणा का भी उल्लेख किया।

मोदी ने कहा कि सशस्त्र बलों में वे न केवल असीम क्षमताएं देखते हैं बल्कि अटूट सेवा भावना, दृढ़ संकल्प और अतुलनीय संवेदनशीलता भी देखते हैं। उन्होंने कहा कि यह भारतीय सशस्त्र बलों को दुनिया में अद्वितीय बनाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘साम्राज्य आते हैं और चले जाते हैं लेकिन भारत हजारों साल पहले शाश्वत था, आज भी है और हजारों साल बाद भी रहेगा। हम राष्ट्र को सरकार, शक्ति या साम्राज्य के रूप में नहीं देखते हैं। हमारे लिए, यह जीवित है, वर्तमान आत्मा है, इसका बचाव केवल भौगोलिक सीमाओं की रक्षा करने तक सीमित नहीं है। हमारे लिए राष्ट्रीय रक्षा का अर्थ है इस जीवित राष्ट्रीय जीवंतता, राष्ट्रीय एकता की रक्षा करना।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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