कोविड-19 टीकाकरण के लिए भारत के पास विकल्प और मौजूदा स्थिति

By भाषा | Updated: January 9, 2021 20:00 IST2021-01-09T20:00:26+5:302021-01-09T20:00:26+5:30

India has options and current status for Kovid-19 vaccination | कोविड-19 टीकाकरण के लिए भारत के पास विकल्प और मौजूदा स्थिति

कोविड-19 टीकाकरण के लिए भारत के पास विकल्प और मौजूदा स्थिति

नयी दिल्ली, नौ जनवरी कोविड-19 महामारी का प्रकोप करीब साल भर पहले शुरू होने के बाद से लगभग 200 टीके विकसित करने का कार्य जारी है और 10 टीकों को विभिन्न देशों ने मंजूरी दे दी है या उनका सीमित आपात उपयोग किया जा रहा है। भारत 16 जनवरी से अपना टीकाकरण अभियान शुरू करने जा रहा है, ऐसे में उपलब्ध विकल्पों पर एक नजर--

कोवैक्सीन: इसे भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के सहयोग से विकसित किया है। यह स्वदेश में विकसित टीका है। भारत सरकार ने इस हफ्ते ‘क्लीनिकल परीक्षण प्रारूप’ में इसके आपात उपयोग की अनुमति दी है।

भारत बायोटेक के मुताबिक इस टीके का सामान्य तापमान पर कम से कम एक हफ्ते तक भंडारण किया जा सकता है। प्रीपिंट सर्वर मेडआरएक्सीव में दिसंबर में 1/2 चरण के परीक्षण पर प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि इस टीके का कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला है। हालांकि, इस बारे में और अधिक आंकड़े सार्वजनिक नहीं किये गये हैं, जो यह प्रदर्शित कर सके कि टीका सुरक्षित और कारगर है।

नयी दिल्ली स्थिति राष्ट्रीय प्रतिरक्षाविज्ञान संस्थान से संबद्ध रोग प्रतिरक्षा विज्ञानी विनीता बल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा , ‘‘आईसीएमआर-भारत बायोटेक का टीके में वायरस के संपूर्ण अंश का उपयोग किया गया है और इसकी रक्षात्मक प्रभाव क्षमता के बारे में अभी तक कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।’’

कोविशील्ड : इस टीके को ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर विकसित किया है। इस टीके को भारत में कोविशील्ड नाम से जाना जा रहा है। यह पहला टीका है जिसके तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षणों पर एक वैज्ञानिक अध्ययन प्रकाशित हुआ है।

इसे अब तक ब्रिटेन, अर्जेंटीना, मेक्सिको और भारत में आपात उपयोग की मंजूरी मिली है।

वैज्ञानिकों ने इस टीके को विकसित करने के लिए चिंपाजी को संक्रमित करने वाले एडेनोवायरस के प्रारूप पर अनुसंधान किया।

कोविशील्ड का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) कर रहा है। बाजार में इसका एक इंजेक्शन या खुराक 1,000 रुपये में बेचा जाएगा लेकिन भारत सरकार को इस पर सिर्फ 200 रुपये की लागत आ रही है। एसआईआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदार पूनावाला ने यह जानकारी दी।

बल ने बताया, ‘‘ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका-सीरम इंस्टीट्यूट के टीके ने वैश्विक स्तर पर परीक्षणों में 60-70 प्रतिशत रक्षात्मक प्रभाव क्षमता प्रदर्शित की है। हालांकि, भारत में इसके परीक्षणों से जुड़े आंकड़े स्पष्ट रूप से उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन यह टीका निश्चित तौर पर सुरक्षित साबित हुआ है।’’

कोलकाता स्थित सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी की विषाणु विज्ञानी उपासना रे के मुताबिक एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड टीके के शीत भंडारण करने की अपेक्षाकृत कम जरूरत होगी क्योंकि इसे सामान्य रेफ्रीजेरेटर तापमान (दो से आठ डिग्री सेल्सियसम) पर कम से कम छह महीने तक रखा जा सकता है और एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।

मॉडेरना : अमेरिकी कंपनी मॉडेरना द्वारा विकसित एम-आरएनए टीके को अब तक इजराइल, यूरोपीय संघ, कनाडा और अमेरिका ने उपयोग की मंजूरी दी है।

इस टीके पर किये गये एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि रोग की रोकथाम करने में यह 94.1 प्रतिशत कारगर है। इस टीके का भंडारण 30 दिनों तक दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर किया जा सकता है। हालांकि, उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पड़ने वाले कई विकासशील देशों के लिए इसका भंडारण एक चुनौती है क्योंकि वहां गर्मियों के महीनों में काफी ज्यादा तापमान रहता है।

पिछले साल नवंबर में मॉडेरना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन बांसेल ने एक जर्मन साप्ताहिक समाचारपत्र से कहा था कि वह इसके लिए सरकारों से प्रति खुराक मूल्य 25 से 37 डॉलर लेगी।

फाइजर-बायोएनटेक : अमेरिका से सहायता प्राप्त फाइजर-बायोएनटेक का कोविड-19 टीका मॉडेरना टीके की तरह ही कारगर है। यह नोवेल कोराना वायरस की आनुवांशिक सामग्री पर आधारित है। इसके शुरूआती आंकड़ों के मुताबिक यह टीका 90 प्रतिशत कारगर है।

इस टीके के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि इसे ‘‘-70 डिग्री सेल्सियस’’ तापमान पर रखने की जरूरत होगी। इसके प्रत्येक खुराक की कीमत 37 डॉलर रहने का अनुमान है।

स्पूतनिकV : रूस के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित इस टीके को कई देशों ने आपात उपयोग के लिए मंजूरी दी है लेकिन इसके तीसरे चरण के परीक्षणों के और अधिक परिणामों का इंतजार है। शुरूआती आंकड़ों के मुताबिक इसके 90 प्रतिशत कारगर रहने के संकेत मिले हैं। इसे दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखने की जरूरत होगी। इसका मूल्य प्रति खुराक 10 डॉलर हो सकता है।

कोनवीडेसिया : इसे चीनी कंपनी कैनसीनो बायोलॉजिक्स विकसित कर रहा है। इसका तीसरे चरण का परीक्षण किया जा रहा है। इस टीके को चीनी सेना ने सीमित उपयोग के लिए मंजूरी दी है।

पिछले साल अगस्त से ही रूस, मेक्सिको और पाकिस्तान सहित कई देशों में इसका तीसरे चरण का परीक्षण किया जा रहा।

कोरोनावैक : एक अन्य चीनी कंपनी सीनोफार्म ने इसे विकसित किया है। चीन में सीमित उपयोग की अनुमति दी गई है। इसकी प्रभाव क्षमता के बारे में आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं।

वेक्टर इंस्टीट्यूट : रूस के वेक्टर इंस्टीट्यूट ने एक प्रोटीन टीके को विकसित किया है। इसका अभी तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा। इस टीके की प्रभाव क्षमता के बारे में अभी आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

नोवावैक्स: इस टीके को अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने विकसित किया है। इसका अभी तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है।

जॉनसन एंड जॉनसन: अमेरिकी कंपनी द्वारा विकसित इस टीके का बंदरों पर किया गया परीक्षण सुरक्षित होन का दावा किया गया है। इसका अभी तीसरे चरण का परीक्षण जारी है।

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Web Title: India has options and current status for Kovid-19 vaccination

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