अफगानिस्तान मुद्दे पर भारत-जर्मनी में करीबी सहयोग दिखेगा : जर्मन राजदूत

By भाषा | Updated: October 3, 2021 16:12 IST2021-10-03T16:12:39+5:302021-10-03T16:12:39+5:30

India-Germany will see close cooperation on Afghanistan issue: German envoy | अफगानिस्तान मुद्दे पर भारत-जर्मनी में करीबी सहयोग दिखेगा : जर्मन राजदूत

अफगानिस्तान मुद्दे पर भारत-जर्मनी में करीबी सहयोग दिखेगा : जर्मन राजदूत

नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने रविवार को कहा कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत और जर्मनी का रुख एक जैसा है और दोनों देश इस संबंध में करीबी सहयोग देखेंगे।

जर्मनी के एकीकरण की 31वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में लिडंनर ने कहा, ‘‘भारत, वहां (अफगानिस्तान में) बहुत बड़ा किरदार है और कई विकास परियोजनाओं में शामिल रहा है जबकि जर्मनी गत 20 साल में वहां बहुत सक्रिय रहा है। अत: हम दोनों काफी हद तक समान सिद्धांत को साझा करते हैं।’’

उन्होंने दिल्ली के पहाड़गंज स्थित शीला सिनेमाघर की विशाल दीवार पर भारत और जर्मनी की दोस्ती को प्रतिबिंबित करती संकेतिक पेंटिंग का उद्घाटन किया। लिंडनर ने कहा कि दोनों देशों ने अफगानिस्तान की पूर्ववर्ती सरकार का समर्थन किया था और वहां की स्थिति खासतौर पर महिलाओं की सुधारने की कोशिश की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘हम तालिबान को तेजी से मिली बढ़त से आश्चर्यचकित हैं। अब, हमें इस स्थिति से निपटना है। हमें अब भी तालिबान से बातचीत कर वहां मौजूद लोगों को निकालना हैं। हमें अब भी संयुक्त राष्ट्र के जरिये अफगानिस्तान में मानवीय संकट को रोकना हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी कुछ शर्तें हैं जिनके आधार पर हम तालिबान से बात करते हैं- एक समावेशी सरकार, जो अब तक वहीं नहीं है। इसके बावजूद इन बिंदुओं पर प्रगति करने के लिये हमें किसी न किसी तरह का संवाद रखना हैं। भारत की भी स्थिति बहुत कुछ ऐसी ही है। अत: हम एक दूसरे के साथ करीबी सहयोग देखते हैं।”

जर्मन राजदूत ने कहा कि अर्थव्यवस्था, पर्यावरण संरक्षण, हरित ऊर्जा, छात्रों का अदान-प्रदान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और कृत्रिम मेधा अहम क्षेत्र होंगे जिनपर भारत और जर्मनी की साझेदारी आगे बढ़ेगी।

भारत और ब्रिटेन के बीच कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र को लेकर चल रहे गतिरोध के सवाल पर लिंडनर ने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि वास्तव मे क्या मामला है...क्यों ब्रिटेन भारत के ऐप को मान्यता नहीं दे रहा है। हफ्तों पहले, हमने कोविशील्ड को मान्यता दे दी थी। मैंने स्वयं कोविशील्ड लगवाया है। ऐसे में जिन लोगों ने कोविशील्ड लगवाई है उन्हें पृथकवास में जाने(जर्मनी में) या अन्य किसी तरह की पांबदी का सामना करने की जरूरत नहीं है।’’

राजदूत ने कहा कि कोवैक्सीन को क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मान्यता नहीं दी है, इसलिए इस टीके की खुराक लेने वालों को पृथकवास में रहना होगा। एक बार विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत बायोटेक द्वारा उत्पादित टीके को मान्यता दे दे तो जर्मनी अगला कदम उठाएगा और देखेगा कि क्या इसे मान्यता दी जा सकती है।

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Web Title: India-Germany will see close cooperation on Afghanistan issue: German envoy

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