भारत को लोकतंत्र की कार्यप्रणाली पर बाहरी एजेंसियों से किसी मान्यता की आवश्यकता नहीं है: नायडू

By भाषा | Updated: November 26, 2021 23:23 IST2021-11-26T23:23:09+5:302021-11-26T23:23:09+5:30

India does not need any validation from outside agencies on working of democracy: Naidu | भारत को लोकतंत्र की कार्यप्रणाली पर बाहरी एजेंसियों से किसी मान्यता की आवश्यकता नहीं है: नायडू

भारत को लोकतंत्र की कार्यप्रणाली पर बाहरी एजेंसियों से किसी मान्यता की आवश्यकता नहीं है: नायडू

नयी दिल्ली, 26 नवंबर उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि देश में लोकतंत्र की कार्यप्रणाली सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और न्याय सुनिश्चित करने के संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप है और इसे किसी बाहरी एजेंसी से मान्यता की आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने यह टिप्पणी वरिष्ठ पत्रकार ए सूर्य प्रकाश द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘डेमोक्रेसी, पॉलिटिक्स एंड गवर्नेंस’’ के अंग्रेजी और हिंदी संस्करणों का विमोचन करते हुए की। सूर्य प्रकाश नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय की कार्यकारी परिषद के उपाध्यक्ष हैं और संसदीय एवं संवैधानिक मुद्दों पर एक प्रमुख टिप्पणीकार हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे धर्मनिरपेक्ष देश है, जबकि पश्चिमी मीडिया में धर्मनिरपेक्षता और प्रेस की स्वतंत्रता के मुद्दों पर भारत और उसकी सरकार को नीचा दिखाने का चलन है। उन्होंने कहा, ‘‘हम एक प्रवृत्ति देख रहे हैं, विशेष रूप से पश्चिमी मीडिया में, भारत और सरकार को नीचे गिराने के लिए। वे भारत को एक खराब संदर्भ में चित्रित करते हैं। वे इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि भारत आगे बढ़ रहा है, भारत को एक बार फिर दुनियाभर में पहचाना और सम्मानित किया जा रहा है। वे भारत को एक नकारात्मक रूप में चित्रित करने की कोशिश करते हैं। वे हमारी श्रेष्ठता और तरक्की को पचा नहीं पाते हैं।’’

नायडू ने कहा कि एक भारतीय नागरिक होने के नाते संविधान की भावना और दर्शनशास्त्र का पालन करना है, जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों के बीच समान रूप से बंधुत्व को बढ़ावा देना है।

उन्होंने कहा, ‘‘वे (पश्चिमी मीडिया) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर हमारे देश को नीचे गिराते हैं। भारत, मेरे अपने अध्ययन के अनुसार, दुनिया का सबसे धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां सभी जाति, पंथ या धर्म के लोगों का सम्मान किया जाता है।’’

नायडू ने कहा कि ‘‘सर्व धर्म सम भाव’’ (सभी धर्मों का सम्मान करना) भारत में एक सदियों पुरानी प्रथा है और ‘‘सर्व जन सुखिनः भवन्तु’’, ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’, भारतीय दर्शन के मूल में हैं।

मीडिया की भूमिका के बारे में बात करते हुए, उपराष्ट्रपति ने पत्रकारों द्वारा व्यापक शोध की आवश्यकता और ‘‘समाचारों और विचारों को अलग रखने’’ की आवश्यकता पर बल दिया।

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