भारत ने चीन के नये भूमि सीमा कानून की आलोचना की
By भाषा | Updated: October 27, 2021 21:21 IST2021-10-27T21:21:10+5:302021-10-27T21:21:10+5:30

भारत ने चीन के नये भूमि सीमा कानून की आलोचना की
नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर भारत ने चीन पर ‘एकतरफा’ ढंग से नया भूमि सीमा कानून लाने के लिये निशाना साधते हुए बुधवार को कहा कि वह उम्मीद करता है कि चीन कानून के परिप्रेक्ष में ऐसा कोई कदम उठाने से बचेगा जिससे भारत चीन सीमा क्षेत्रों में स्थिति में एकतरफा ढंग से बदलाव आ सकता हो ।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि चीन का कानून लाने का निर्णय चिंता का विषय है क्योंकि इस विधान का सीमा प्रबंधन पर वर्तमान द्विपक्षीय समझौतों तथा सीमा से जुड़े सम्पूर्ण प्रश्नों पर प्रभाव पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि चीन कानून के परिप्रेक्ष में ऐसा कोई कदम उठाने से बचेगा जिससे भारत चीन सीमा क्षेत्रों में स्थिति में एकतरफा ढंग से बदलाव आ सकता हो ।
बागची ने कहा, ‘‘ चीन का एकतरफा ढंग से कानून लाने के निर्णय का सीमा प्रबंधन पर हमारी वर्तमान द्विपक्षीय व्यवस्थाओं तथा सीमा से जुड़े सवालों पर प्रभाव पड़ेगा जो हमारे लिये चिंता का विषय है। ’’
उन्होंने कहा कि ऐसे ‘एकतरफा कदम’ का दोनों पक्षों के बीच पूर्व में हुई व्यवस्थाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए चाहे सीमा का सवाल हो या वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अमन एवं शांति बनाये रखने का विषय हो ।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह चीन की संसद ने सीमावर्ती इलाकों के संरक्षण और उपयोग संबंधी एक नये कानून को अंगीकार किया है जिसका असर भारत के साथ बीजिंग के सीमा विवाद पर पड़ सकता है। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के मुताबिक नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति के सदस्यों ने शनिवार को संसद की समापन बैठक के दौरान इस कानून को मंजूरी दी।
इस बारे में मीडिया के सवालों पर बागची ने कहा, ‘‘हमें यह जानकारी है कि चीन ने 23 अक्टूबर को नया भूमि सीमा कानून पारित किया है। इस कानून में अन्य बातों के अलावा यह कहा गया है कि भूमि सीमा मामलों पर चीन दूसरे देशों के साथ किये या संयुक्त रूप से स्वीकार किये समझौतों का पालन करेगा । ’’
उन्होंने कहा कि कानून में सीमावर्ती क्षेत्रों में जिलों का पुनर्गठन करने का भी प्रावधान है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीन ने सीमा के सवालों का अभी तक समाधान नहीं निकाला है और दोनों पक्षों ने समानता पर आधारित विचार विमर्श के आधार पर निष्पक्ष, व्यवाहारिक और एक दूसरे को स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन एवं शांति बनाये रखने के लिये कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल एवं व्यवस्थाएं बना चुके हैं ।
बागची ने कहा कि इसके साथ ही नया कानून पारित होने का हमारे विचार से तथाकथित रूप से 1963 के चीन पाकिस्तान सीमा समझौते को कोई वैधता नहीं मिलती है जिसे भारत सरकार लगातार अवैध और अमान्य कहती है।
गौरतलब है कि चीन ने पिछले सप्ताह चीन ने नया भूमि सीमा कानून पारित किया है। नये कानून में सीमाओं पर व्यापार क्षेत्रों की स्थापना तथा सीमा आर्थिक सहयोग क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव है।
वहीं, सीमा मुद्दे को लेकर भारत और चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर की कई दौर की वार्ता हो चुकी है । इसकी स्थापना सीमा विवाद का जल्द समाधान निकालने के लिये किया गया था ।
दोनों पक्षों का मानना है कि सीमा मुद्दे के अंतिम समाधान निकलने तक यह जरूरी है कि सीमा क्षेत्रों में अमन एवं शांति बनाए रखी जाए ।
पिछले वर्ष पांच मई को पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच हिंसक झडप के बाद सीमा गतिरोध शुरू हो गया था । इसके बाद दोनों ओर से सीमा पर सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती की गई थी ।
गतिरोध को दूर करने को लेकर दोनों देशों के बीच राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर कई वार्ताएं भी हो चुकी हैं। दोनों पक्षों ने पिछले महीने गोगरा क्षेत्र से पीछे हटने का काम पूरा कर लिया लेकिन कुछ स्थानों पर अभी गतिरोध बरकरार है।
दोनों पक्षों की ओर से अभी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।
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