भारत, चीन पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों को तेजी से हल करने को सहमत: संयुक्त बयान
By भाषा | Updated: August 2, 2021 20:24 IST2021-08-02T20:24:09+5:302021-08-02T20:24:09+5:30

भारत, चीन पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों को तेजी से हल करने को सहमत: संयुक्त बयान
नयी दिल्ली, दो अगस्त भारतीय और चीनी सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों को ''तेजी'' से हल करने पर सहमति जतायी और 12वें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता को ''रचनात्मक'' करार दिया। इससे पहले गतिरोध के बाकी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी संबंधी बहु-प्रतिक्षित प्रक्रिया में कोई ठोस परिणाम दिखायी नहीं दिया था। सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गयी।
भारत-चीन सैन्य वार्ता के दो दिन बाद भारतीय सेना की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत-चीन सीमा क्षेत्र के पश्चिमी सेक्टर से सैनिकों की वापसी के संबंध में ''स्पष्ट एवं गहन'' विचार साझा किये गए।
सरकार सामान्य तौर पर पूर्वी लद्दाख क्षेत्र को पश्चिमी सेक्टर के तौर पर पेश करती है।
बयान के मुताबिक, '' दोनों पक्षों ने बैठक के इस दौर को रचनात्मक करार दिया जिसने पारस्परिक समझ को और बढ़ाया। वे बाकी बचे मुद्दों को वर्तमान समझौतों एवं प्रोटोकॉल के अनुसार त्वरित आधार पर हल करने को लेकर सहमत हुए। साथ ही बातचीत एवं वार्ता की गति बरकरार रखने पर भी सहमति जतायी गयी।''
इसके मुताबिक, दोनों पक्ष एलएसी पर स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रभावी प्रयासों को जारी रखने को लेकर भी सहमत हुये।
भारतीय और चीनी सेनाओं के शीर्ष कमांडरों के बीच शनिवार को नौ घंटे लंबी बैठक चली थी और इस दौरान खास तौर पर पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले बाकी बचे बिंदुओं से सैनिकों की वापसी प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया गया।
शनिवार की बैठक के दौरान भारत ने हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देप्सांग में लंबित मुद्दों के समाधान पर जोर दिया था।
बातचीत का यह दौर पिछली बार हुई वार्ता से साढ़े तीन महीने से भी ज्यादा समय के बाद हो रहा है। इससे पहले 11वें दौर की सैन्य वार्ता नौ अप्रैल को एलएसी पर भारत की ओर चुशुल सीमा बिंदु पर हुई थी और यह बातचीत करीब 13 घंटे तक चली थी।
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दृढ़ता के साथ अपने चीनी समकक्ष वांग यी को यह बताया था कि पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति का लंबे समय से ऐसे बने रहने का असर “नकारात्मक तरीके” से द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करता नजर आ रहा है। दोनों विदेश मंत्रियों ने 14 जुलाई को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर करीब एक घंटे तक द्विपक्षीय बैठक की थी। इसके करीब दो हफ्ते बाद वार्ता का 12वां दौर हुआ।
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