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पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से पीछे हटने के लिये भारत, चीन जल्द अगले दौर की सैन्य वार्ता पर सहमत हुए

By भाषा | Updated: June 25, 2021 22:01 IST

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नयी दिल्ली, 25 जून भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के शेष क्षेत्रों से अपने सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के उद्देश्य को हासिल करने के लिये जल्द की किसी तिथि को सैन्य स्तर की अगली दौर की वार्ता करने पर पर शुक्रवार को सहमति व्यक्त की ।

दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के बीच ताजा बयानों की पृष्ठभूमि में इस बात पर सहमति जतायी ।

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, शुक्रवार 25 जून को भारत और चीन के बीच डिजिटल माध्यम से सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 22 वीं बैठक हुई जिसमें दोनों पक्षों ने ने पश्चिमी सेक्टर में सीमावर्ती इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से जुड़ी स्थितियों पर खुलकर विचारों का आदान-प्रदान किया । दोनों पक्ष टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए परस्पर स्वीकार्य समाधान की खातिर बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए।

मंत्रालय के अनुसार, ‘‘दोनों पक्षों ने सितंबर 2020 में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शेष मुद्दों के जल्द समाधान की जरूरत पर सहमति व्यक्त की।’’

दोनों पक्षों के बीच यह वार्ता ऐसे समय में हुई है जब गतिरोध एवं पीछे हटने के मुद्दे को लेकर दोनों पक्षों के बीच ताजा बयानबाजी सामने आई है । दोनों पक्षों ने पैंगोंग शो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से फरवरी में सैनिकों को पीछे हटाया था ।

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस संबंध में दोनों पक्षों ने राजनयिक एवं सैन्य तंत्र के माध्यम से वार्ता एवं संवाद जारी रखने पर सहमति व्यक्त की, ताकि संघर्ष वाले सभी क्षेत्रों से पूरी तरह से पीछे हटने के लिये आपसी सहमति के आधार पर रास्ता निकाला जा सके, जिससे पूरी तरह से शांति एवं समरसता बहाल हो और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का मार्ग प्रशस्त हो ।

बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की कि तब तक दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाये रखना और कोई अप्रिय घटना रोकना सुनिश्चित करना जारी रखेंगे ।

मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष अगले (12 वें) दौर की वरिष्ठ कमांडर स्तर की वार्ता जल्द किसी तिथि पर करने पर सहमत हुए ताकि मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉल के आधार पर पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर संघर्ष के सभी क्षेत्रों से पूरी तरह पीछे हटने के उद्देश्य को हासिल किया जा सके।

पिछले दौर की सैन्य स्तर की वार्ता नौ अप्रैल को हुई थी ।

सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (पूर्वी एशिया) ने किया। चीनी शिष्टमंडल का प्रतिनिधित्व वहां के विदेश मंत्रालय में सीमा और सागरीय विभाग के महानिदेशक ने किया ।

बहरहाल, सीमा गतिरोध के मुद्दे पर इस सप्ताह दोनों पक्षों के बीच ताजा बयानबाजी सामने आई है।

भारत ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया था कि पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में पिछले वर्ष चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों को एकत्र करना और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश करने जैसे कदम इस क्षेत्र में जारी सैन्य गतिरोध के लिये जिम्मेदार हैं और ये कदम भारत-चीन द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन भी है ।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यह प्रतिक्रिया तब दी जब उनसे चीनी विदेश मंत्रालय के इस वक्तव्य के बारे में पूछा गया था कि सीमावर्ती क्षेत्र में चीन की सैन्य तैनाती भारत के अतिक्रमण या खतरे को रोकने के लिए है तथा इस क्षेत्र में चीन की सैन्य तैनाती सामान्य रक्षात्मक व्यवस्था है।

भारत और चीन पिछले साल 10 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत के बाद सीमा गतिरोध के समाधान के लिये पांच बिन्दुओं के समझौते पर सहमति बनी थी । इसमें सैनिकों को तेजी से पीछे हटाने, तनाव बढ़ाने वाले कदमों से बचने, सभी समझौतों का पालन करना आदि शामिल है ।

उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच पिछले वर्ष मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर सैन्य गतिरोध है। हालांकि, दोनों पक्षों ने कई दौर की सैन्य एवं राजनयिक वार्ता के बाद फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी।

समझा जाता है कि कुछ क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने को लेकर अभी गतिरोध बरकरार है ।

पिछले महीने सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के सभी क्षेत्रों से पूरी तरह से पीछे हटे बिना स्थिति सामान्य नहीं हो सकती है और भारतीय सेना क्षेत्र में सभी स्थितियों के लिये तैयार है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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