नयी दिल्ली, 14 अप्रैल फ्रांसीसी विदेश मंत्री ज्यां यवेस ले द्रियां ने बुधवार को कहा कि पेरिस समझौते के बाद से भारत व फ्रांस जलवायु कार्रवाई में अग्रणी रहे हैं तथा नवंबर में ग्लासगो में होने वाली कोप26 बैठक के लिए नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों देश कार्बन मुक्त हाइड्रोजन की उत्पादन लागत में कमी लाने के लिए अपने सहयोग को और बढ़ा सकते हैं तथा एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक से मुकाबला करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।
भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर आए द्रियां 26 वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कोप26) के मद्देनजर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक कदम को बढ़ावा देने के लिए फ्रांसीसी दूतावास में एक परिचर्चा में समापन भाषण दे रहे थे।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी शामिल हुए।
फ्रांसीसी मंत्री ने कहा, "तीन कोप, खासकर कोप26 के साथ साल 2021 हमारे ग्रह के लिए एक बहुत ही निर्णायक साल है। यह बहुत बड़ा अवसर है, जिसका हमें एक साथ मिलकर फायदा उठना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, "हम दोनों ने यह फैसला किया है कि यह बहुत अहम है कि भारत और फ्रांस कोप26 से पहले नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि पेरिस समझौते के बाद से भारत तथा फ्रांस हमेशा जलवायु परिवर्तन की कार्रवाई में आगे रहे हैं और इस क्षेत्र में बहुत करीबी भागीदारी स्थापित की है।
मंत्री ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई निश्चित रूप से सदी का मुकाबला है। यही कारण है कि ग्रह की रक्षा के लिए भारत-फ्रांस साझेदारी मेरी राय में जरूरी है।’’
उन्होंने 2030 तक 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता विकसित करने के भारत के लक्ष्य की सराहना की।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।