यूक्रेन: सुरक्षा परिषद में प्रक्रियात्मक मतदान में भारत ने नहीं लिया हिस्सा, 'सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखने' की वकालत की

By विशाल कुमार | Updated: February 1, 2022 08:25 IST2022-02-01T08:23:50+5:302022-02-01T08:25:36+5:30

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने परिषद में कहा कि नयी दिल्ली रूस और अमेरिका के बीच चल रही उच्च-स्तरीय सुरक्षा वार्ता के साथ-साथ पेरिस में नॉरमैंडी प्रारूप के तहत यूक्रेन से संबंधित घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रही है। 

india-abstains-procedural-vote-discussion-ukraine-un-security-council | यूक्रेन: सुरक्षा परिषद में प्रक्रियात्मक मतदान में भारत ने नहीं लिया हिस्सा, 'सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखने' की वकालत की

यूक्रेन: सुरक्षा परिषद में प्रक्रियात्मक मतदान में भारत ने नहीं लिया हिस्सा, 'सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखने' की वकालत की

Highlightsभारत ने रेखांकित किया कि ‘‘शांत और रचनात्मक’’ कूटनीति ‘‘समय की आवश्यकता’’ है।भारत ने सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए तनाव को कम करने पर जोर दिया।भारत कुछ हद तक रूस के हितों के साथ जाता दिख रहा है।

संयुक्त राष्ट्र:भारत ने सोमवार को यूक्रेन सीमा पर हालात के संबंध में चर्चा के लिए होने वाली बैठक से पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में प्रक्रियात्मक मतदान में भाग नहीं लिया। 

भारत ने रेखांकित किया कि ‘‘शांत और रचनात्मक’’ कूटनीति ‘‘समय की आवश्यकता’’ है और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के बड़े हित में सभी पक्षों द्वारा तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचना चाहिए। 

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने परिषद में कहा कि नयी दिल्ली रूस और अमेरिका के बीच चल रही उच्च-स्तरीय सुरक्षा वार्ता के साथ-साथ पेरिस में नॉरमैंडी प्रारूप के तहत यूक्रेन से संबंधित घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रही है। 

तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘भारत का हित एक ऐसा समाधान खोजने में है जो सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए तनाव को तत्काल कम कर सके और इसका उद्देश्य क्षेत्र तथा उसके बाहर दीर्घकालिक शांति और स्थिरता हासिल करना हो।’’ 

सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखने की बात कहकर भारत ने ऐसे संकेत दे दिए हैं कि वह कुछ हद तक रूस के हितों के साथ जाता दिख रहा है।

उन्होंने रेखांकित किया, ‘‘शांत और रचनात्मक कूटनीति समय की मांग है। अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा हासिल करने के व्यापक हित में सभी पक्षों द्वारा तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचा जाना चाहिए।’’

यूक्रेन की सीमाओं के पास हजारों रूसी सैनिकों के जमावड़े के बीच यूक्रेन संकट पर चर्चा करने के लिए 15 सदस्यीय परिषद ने एक बैठक की।

मास्को की कार्रवाई ने आक्रमण की आशंकाओं को बढ़ा दिया है। हालांकि, रूस ने इस बात से इनकार किया कि वह हमले की योजना बना रहा है।

बैठक से पहले परिषद के स्थायी और वीटो- अधिकार प्राप्त सदस्य रूस ने यह निर्धारित करने के लिए एक प्रक्रियात्मक वोट का आह्वान किया कि क्या खुली बैठक आगे बढ़नी चाहिए।

अमेरिका के अनुरोध पर हुई बैठक को आगे बढ़ाने के लिए परिषद को नौ मतों की आवश्यकता थी। रूस और चीन ने बैठक के खिलाफ मतदान किया, जबकि भारत, गैबॉन और केन्या ने भाग नहीं लिया। फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन सहित परिषद के अन्य सभी सदस्यों ने बैठक के चलने के पक्ष में मतदान किया।

बता दें कि, रूस ने यूक्रेन की सीमा के निकट 1,00,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है, जिससे इस क्षेत्र में युद्ध की आशंका तेज हो गई है। रूस ने लगातार इस बात से इनकार किया है कि वह यूक्रेन पर हमले की योजना बना रहा है, लेकिन अमेरिका और उसके नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) सहयोगियों का मानना है कि रूस युद्ध की ओर बढ़ रहा है तथा इसके लिए तैयारी कर रहा है।

इस युद्धग्रस्त क्षेत्र में 2014 से ही रूस समर्थक अलगाववादी लड़ाकों से लड़ाई जारी है। रूस की मुख्य मांगों में नाटो में यूक्रेन को शामिल नहीं करना और क्षेत्र से ऐसे हथियारों को हटाना शामिल है, जिससे रूस को खतरा हो सकता है।

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