कुपोषण से निपटने के लिए आहार का पोषण स्तर बढ़ाना अस्थायी उपाय: आईसीएमआर-एनआईएन की निदेशक

By भाषा | Updated: September 25, 2021 18:08 IST2021-09-25T18:08:29+5:302021-09-25T18:08:29+5:30

Increasing the nutritional level of the diet as a temporary measure to combat malnutrition: Director of ICMR-NIN | कुपोषण से निपटने के लिए आहार का पोषण स्तर बढ़ाना अस्थायी उपाय: आईसीएमआर-एनआईएन की निदेशक

कुपोषण से निपटने के लिए आहार का पोषण स्तर बढ़ाना अस्थायी उपाय: आईसीएमआर-एनआईएन की निदेशक

(उज्मी अतहर)

नयी दिल्ली, 25 सितंबर आईसीएमआर के राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) की निदेशक डॉ. हेमलता आर ने कहा है कि दीर्घकालिक समाधान होने तक कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए आहार को पोषण युक्त बनाने के कदम को एक अस्थायी उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि फोर्टिफिकेशन (भोज्य पदार्थ का पोषण स्तर बढ़ाना) कार्यक्रम को भोजन की वास्तविक खुराक और विशेष पोषक तत्व की जरूरत के बीच के अंतर को भरने के लिए तैयार किया गया है। डॉ. हेमलता की टिप्पणी विशेषज्ञों द्वारा उठाई गई कुछ चिंताओं के बीच आई है कि फोर्टिफाइड आहार को अच्छी तरह से संतुलित विविध आहार के प्रतिस्थापन के रूप में नहीं माना जा सकता।

सरकार कुपोषण से निपटने के लिए मध्याह्न भोजन जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीबों को वितरित किए जाने वाले चावल का पोषण स्तर बढ़ाने की योजना बना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में घोषणा की थी कि राशन की दुकानों के माध्यम से या मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजना के माध्यम से, हर सरकारी कार्यक्रम के तहत उपलब्ध कराए जाने वाले चावल का पोषण स्तर 2024 तक बढ़ाया जाएगा।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-राष्ट्रीय पोषण संस्थान की निदेशक ने कहा कि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी मुख्य रूप से अपर्याप्त आहार सेवन, भोजन की खराब गुणवत्ता और आहार विविधता की कमी के कारण होती है।

डॉ. हेमलता ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘लोक स्वास्थ्य के लिहाज से नीति निर्माता, और कार्यक्रम लागू करने वाली एजेंसियां एक या ज्यादा सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ पोषण स्तर बढ़ाने को व्यावहारिक दृष्टिकोण मानते हैं क्योंकि इसके लिए (भोजन की) आदतों में बदलाव की जरूरत नहीं पड़ती जो कि विभिन्न आबादी समूहों के बीच प्राप्त करना मुश्किल है।’’

फोर्टिफाइड आहार को अच्छी गुणवत्ता वाले भोजन का प्रतिस्थापन नहीं माना जा सकता, ऐसे विचारों पर डॉ. हेमलता ने कहा कि भोजन विविधता हासिल करने के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण विकसित होने तक आहार का पोषण स्तर बढ़ाने को अस्थायी उपाय के तौर पर देखना चाहिए।

‘पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन एंड डेवलपमेंट सेंटर’ की निदेशक डॉ. शीला वीर ने कहा कि चूंकि कम से कम आठ खाद्य समूहों के खाद्य पदार्थों से युक्त विविध आहार सबके लिए आसानी से सुलभ नहीं हैं, इसलिए मुख्य खाद्य पदार्थों के ‘फोर्टिफिकेशन’ पोषण की गुणवत्ता में सुधार करने में योगदान करते हैं। यह देश में पुरुषों, महिलाओं, किशोरों और बच्चों की पोषण सुरक्षा में सुधार करने में योगदान देता है।

‘फूड फोर्टिफिकेशन फॉर इंडिया’ की राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रबंधक साक्षी जैन ने कहा कि कमजोर आबादी के बीच सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए यह किफायती, प्रभावी उपाय है।

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Web Title: Increasing the nutritional level of the diet as a temporary measure to combat malnutrition: Director of ICMR-NIN

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