केंद्रीय मंत्रिपरिषद में पिछड़ा वर्ग, दलितों और महिलाओं का बढ़ा प्रतिनिधित्व

By भाषा | Updated: July 7, 2021 23:02 IST2021-07-07T23:02:06+5:302021-07-07T23:02:06+5:30

Increased representation of backward classes, dalits and women in the Union Council of Ministers | केंद्रीय मंत्रिपरिषद में पिछड़ा वर्ग, दलितों और महिलाओं का बढ़ा प्रतिनिधित्व

केंद्रीय मंत्रिपरिषद में पिछड़ा वर्ग, दलितों और महिलाओं का बढ़ा प्रतिनिधित्व

नयी दिल्ली, सात जुलाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बुधवार को किए व्यापक फेरबदल और विस्तार में पिछड़ा वर्ग, दलितों, जनजातीय समुदाय के प्रतिनिधियों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व जहां बढ़ाया है वहीं उत्तर प्रदेश जैसे चुनावी दृष्टि से अहम राज्यों को खासा तवज्जो दी है।

इस फेरबदल और विस्तार में प्रधानमंत्री ने 12 मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए युवा व अनुभवी नेताओं के मिश्रण को तरजीह दी है और इसके जरिए शासन को और मजबूती प्रदान करने की कोशिश की है।

प्रधानमंत्री की इस नयी टीम में पीढ़ीगत बदलाव भी देखने को मिला जब केंद्रीय मंत्रिमंडल हर्षवर्धन, रमेश पोखरियाल निशंक, रविशंक प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, सदानंद गौड़ा और संतोष गंगवार को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और नये चेहरों को इसमें शामिल किया गया।

वर्तमान मंत्रिपरिषद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एकमात्र ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने 1998 और 2004 की तत्कालीन वाजपेयी सरकारों में भी काम किया है।

इस विस्तार में भाजपा ने अपने बढ़ते भौगोलिक जनाधार का भी विशेष ख्याल रखा है। उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक सात मंत्रियों को मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। इनमें से अधिकांश आरक्षित जाति समुदाय से आते हैं। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

जिन 36 नए चेहरों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है उनमें उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक प्रतिनिधित्व पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र को मिला है। इन राज्यों से चार-चार सांसदों को मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है।

गुजरात से तीन, मध्य प्रदेश, बिहार और ओड़िशा से दो-दो नेताओं को मंत्री बनाया गया है जबकि उत्तराखंड, झारखंड, त्रिपुरा, नयी दिल्ली, असम, राजस्थान, मणिपुर और तमिलनाडु से एक-एक नेता को मंत्रिपरिषद में जगह मिली है। इनमें से अधिकांश को राज्यमंत्री बनाया गया है।

सात राज्यमंत्रियों को पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इनमें अनुराग सिंह ठाकुर, जी किशन रेड्डी, आर के सिंह, हरदीप सिंह पुरी भी शामिल हैं।

भूपेंद्र यादव एकमात्र ऐसे मंत्री हैं जिन्हें अभी तक कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं रहा है। वह अभी तक भाजपा संगठन का काम देखते रहे हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षें में एक सांसद के रूप में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है।

प्रधानमंत्री ने इस विस्तार में त्रिपुरा और मणिपुर जैसे छोटे राज्यो को भी जगह दी है। दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं।

सहयोगी दलों का ध्यान रखते हुए इस विस्तार में बिहार से जनता दल युनाईटेड और लोक जनशक्ति पार्टी के पारस गुट से पशुपति कुमार पारस को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। दोनों बिहार से ताल्लुक रखते हैं।

सात महिलाओं को इस मंत्रिपरिषद विस्तार में जगह दी गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को मिलाकर अब केंद्रीय मंत्रिपरिषद में मिहला मंत्रियों की कुल संख्या नौ हो गई है। देबश्री चौधरी को मंत्रिपरिषद से आज बाहर का रास्ता दिखा गया।

आज कुल 15 सदस्यों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में और 28 ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। प्रधानमंत्री के रूप में मई 2019 में 57 मंत्रियों के साथ अपना दूसरा कार्यकाल आरंभ करने के बाद मोदी ने पहली बार केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल व विस्तार किया है।

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Web Title: Increased representation of backward classes, dalits and women in the Union Council of Ministers

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