लाइव न्यूज़ :

भारत, चीन की वार्ता के ताजा दौर में पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों का समाधान नहीं निकला

By भाषा | Updated: October 11, 2021 14:12 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर भारत और चीन के बीच 13वें दौर की सैन्य वार्ता पूर्वी लद्दाख में लंबित मुद्दों का समाधान निकालने में किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। भारतीय सेना ने सोमवार को कहा कि उसके द्वारा दिए गए ‘सकारात्मक सुझावों’ पर चीनी सेना सहमत नहीं लगी।

भारतीय सेना ने जो वक्तव्य जारी किया, उसमें मामले पर उसके सख्त रुख का संकेत मिला। सेना ने कहा कि रविवार को हुई बैठक में, बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों का समाधान नहीं निकला और भारतीय पक्ष ने जोर देकर कहा कि वह चीनी पक्ष से इस दिशा में काम करने की उम्मीद करता है।

सेना ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक सुझाव दिए, लेकिन चीनी पक्ष उनसे सहमत नहीं लगा और वह आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव भी नहीं दे सका। अत: बैठक में बाकी के क्षेत्रों के संबंध में कोई समाधान नहीं निकल सका।’’

यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चूशुल-मोल्दो सीमा क्षेत्र में चीन की तरफ रविवार को हुई। वार्ता करीब साढ़े आठ घंटे तक चली।

चीन की पीएलए की वेस्टर्न थियेटर कमान ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘भारत ने तर्कहीन और अवास्तविक मांगों पर जोर दिया, जिससे वार्ता में कठिनाई हुई।’’ उसने कहा कि सीमा पर ‘‘हालात को तनावरहित और शांत करने के लिए चीन ने बहुत अधिक प्रयास किए और अपनी ओर से गंभीरता का पूरी तरह से प्रदर्शन किया।’’

भारतीय सेना ने कहा कि वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने इस बात का उल्लेख किया कि एलएसी पर जो हालात बने वे यथास्थिति को बदलने के चीन के ‘एकतरफा प्रयासों’ के कारण पैदा हुए हैं और यह द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन भी करते हैं।

उसने कहा, ‘‘इसलिए यह आवश्यक है कि चीनी पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन और चैन की बहाली के लिए बाकी के क्षेत्रों में उचित कदम उठाए।’’ भारतीय पक्ष ने जोर देकर कहा कि बाकी के क्षेत्रों में लंबित मुद्दों के समाधान से द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति होगी।

भारतीय पक्ष ने चीन और भारत के विदेश मंत्रियों के बीच पिछले महीने हुई वार्ता का भी जिक्र किया, जो ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन से इतर हुई थी।

सेना ने कहा, ‘‘यह दुशांबे में विदेश मंत्रियों के बीच हाल में हुई बैठक में दिए गए मार्गदर्शन के अनुरूप होगा, जिसमें उनके बीच सहमति बनी थी कि दोनों पक्ष लंबित मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान निकालेंगे।’’

सेना ने कहा कि दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाए रखने तथा संवाद कायम रखने पर सहमत हुए।

सेना ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण परिदृश्य को ध्यान में रखेगा और द्विपक्षीय समझौतों और नियमों का पालन करते हुए लंबित मुद्दों के जल्द समाधान के लिए काम करेगा।’’

ऐसा बताया गया कि भारतीय पक्ष ने पेट्रोलिंग पॉइंट 15 (पीपी-15) से सैनिकों की वापसी की रूकी हुई प्रक्रिया का मुद्दा और देप्सांग से जुड़े मुद्दे भी वार्ता में उठाए।

पीएलए ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘संप्रभुता की सुरक्षा को लेकर चीन की प्रतिबद्धता अडिग है और चीन को उम्मीद है कि भारत हालात को लेकर गलत राय नहीं बनाएगा और सीमा पर शांति की सुरक्षा के लिए गंभीरतापूर्वक कदम उठाएगा।’’

चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ की कोशिश की दो हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में 13वें दौर की वार्ता हुई। पहला मामला उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में और दूसरा अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में सामने आया था।

करीब दस दिन पहले अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांगत्से के पास भारतीय और चीनी सैनिकों का कुछ देर के लिए आमना-सामना हुआ था। हालांकि, स्थापित प्रक्रिया के अनुसार दोनों पक्षों के कमांडरों के बीच वार्ता के बाद कुछ घंटे में मामले को सुलझा लिया गया।

चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के करीब 100 जवान 30 अगस्त को उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार कर आये थे और कुछ घंटे बिताने के बाद लौट गये थे।

इससे पहले, भारत और चीन के बीच 31 जुलाई को 12वें दौर की वार्ता हुई थी। कुछ दिन बाद, दोनों देशों की सेनाओं ने गोगरा से अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी और इसे क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की बहाली की दिशा में एक बड़ा एवं उल्लेखनीय कदम माना गया था।

सेना प्रमुख एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन की ओर से सैन्य जमावड़ा और व्यापक पैमाने पर तैनाती अगर जारी रहती है तो भारतीय सेना भी अपनी तरफ अपनी मौजूदगी बनाए रखेगी, जो ‘‘पीएलए के समान ही है।’’

दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर गतिरोध पिछले साल पांच मई को शुरू हुआ था। तब पैंगोंग झील के इलाकों में दोनों ओर के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी।

सैन्य और राजनयिक वार्ता की श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने अगस्त में गोगरा क्षेत्र में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की। फरवरी में दोनों पक्षों ने सहमति के अनुरूप पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों तथा हथियारों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी।

एलएसी पर संवेदनशील क्षेत्र में इस समय प्रत्येक पक्ष के करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटसबसे आगे विराट कोहली, 20 बार प्लेयर ऑफ़ द सीरीज पुरस्कार, देखिए लिस्ट में किसे पीछे छोड़ा

ज़रा हटकेShocking Video: तंदूरी रोटी बनाते समय थूक रहा था अहमद, वीडियो वायरल होने पर अरेस्ट

क्राइम अलर्ट4 महिला सहित 9 अरेस्ट, घर में सेक्स रैकेट, 24400 की नकदी, आपतिजनक सामग्री ओर तीन मोटर साइकिल बरामद

क्रिकेटYashasvi Jaiswal maiden century: टेस्ट, टी20 और वनडे में शतक लगाने वाले छठे भारतीय, 111 गेंद में 100 रन

क्रिकेटVIRAT KOHLI IND vs SA 3rd ODI: 3 मैच, 258 गेंद, 305 रन, 12 छक्के और 24 चौके, रांची, रायपुर और विशाखापत्तनम में किंग विराट कोहली का बल्ला

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत