लाइव न्यूज़ :

भारतीय जवानों की हिम्मत को सलाम, लंबी खिंची सर्दी और बर्फबारी से बढ़ी सेना की मुसीबतें

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: February 6, 2021 13:39 IST

मौखिक समझौतों के टूटने का जो भय भारतीय सेना को डरा रहा है उस कारण वह दुर्गम और दुरूह क्षेत्रों की सीमा चौकिओं पर जवानों को तैनात करने का खतरा मोल लिए हुए है।

Open in App
ठळक मुद्देसेना प्रवक्ता के बकौल, भारतीय सेना करगिल युद्ध जैसा खतरा मोल नहीं ले सकती। अतः वह एलओसी पर आए दिन आने वाले बर्फीले तूफानों की दुश्वारियों से निपटने को अपने जवानों को ट्रेनिंग देती है। यही कारण है कि अक्सर भारतीय जवानों की हिम्मत को पहाड़ भी सलाम करते हैं।

जम्मू, 6 फरवरी। इस बार मौसम के बिगड़े मिजाज और लंबी खिचीं सर्दियों ने सेना की परेशानी भी बढ़ा दी हैं। कश्मीर में भारी बर्फबारी से भारत पाक सीमा पर सैनिकों के लिए हालात बेहद मुश्किल हो गए हैं। इस बर्फबारी की आड़ में आतंकी घुसपैठ की कोशिश करते हैं ऐसे में सैनिकों को ज्यादा चौकन्ना रहने की जरुरत होती है। बर्फबारी को देखते हुए बार्डर एरिया में हाई अलर्ट जारी किया गया है। कई कई फुट बर्फ होने के बावजूद सैनिक मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभाने में जुटे हैं।

छोटे-छोटे स्नो सुनामी के हादसों से सेना के जवानों को 814 किमी लंबी पाकिस्तान से सटी एलओसी पर सर्दियों में सामना होता ही रहता है। हालांकि वर्ष 2010 में आए बर्फीले तूफान उसके लिए घातक साबित हुए हैं। फिलहाल इस बार अभी तक कहीं भी स्नो सुनामी में जवानों के मारे जाने की खबर नहीं है पर खतरा अभी टला नहीं है। वर्ष 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध के बाद भारतीय सेना ने अपनी दुर्गम सीमा चौकिओं को खाली करने से तौबा कर ली। 

दरअसल करगिल युद्ध भी इसी नीति का दुष्परिणाम था जब सर्दी के मौसम में दोनों पक्षों के बीच हुए मौखिक समझौते के तहत दुर्गम सीमा चौकिओं को खाली छोड़ दिया जाता था और फिर गर्मियों की शुरूआत के साथ ही पुनः उन पर कब्जा जमा लिया जाता था। इसे भुलाया नहीं जा सकता कि वर्ष 2003 में जुलाई महीने में भी पाक सेना ने ऐसे ही मौखिक समझौते को तोड़ कर गुरेज सेक्टर में ही दो भारतीय सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया था। 

बाद में मिराज तथा जगुआर लड़ाकू विमानों की मदद से यह कब्जे छुड़वाए गए थे जिसमें पाकिस्तान के 100 तथा भारत के 15 के करीब सैनिक मारे गए थे। नतीजा सामने है। जबकि इन चौकिओं पर तैनाती की सच्चाई यह है कि साल के 12 महीनों में से 11 महीने तक यह शेष देश से कटी रहती हैं और वहां रसद और जवान पहुंचाने का एकमात्र साधन हेलिकाप्टर ही होते हैं।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरभारत
Open in App

संबंधित खबरें

भारतAdventure Tourism Summit 2025: एडवेंचर टूरिज्म कार्यक्रम के लिए है कश्मीर, जानें क्या कुछ होगा खास

भारतबारिश की कमी से कश्मीर में गंभीर जलसंकट, सारा दारोमदार बर्फ पर टिका

कारोबारPetrol Diesel Price Today: संडे मॉर्निंग अपडेट हो गए ईंधन के नए दाम, फटाफट करें चेक

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

क्रिकेटवैभव सूर्यवंशी की टीम बिहार को हैदराबाद ने 7 विकेट से हराया, कप्तान सुयश प्रभुदेसाई ने खेली 28 गेंदों में 51 रन की पारी, जम्मू-कश्मीर को 7 विकेट से करारी शिकस्त

भारत अधिक खबरें

भारत32000 छात्र ले रहे थे शिक्षा, कामिल और फाजिल की डिग्रियां ‘असंवैधानिक’?, सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद नए विकल्प तलाश रहे छात्र

भारतभाजपा के वरिष्ठ शाहनवाज हुसैन ने तेजस्वी यादव पर बोला तीखा हमला, कहा- नेता विपक्ष के नेता के लायक भी नहीं

भारतलालू यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव ने जमा किया ₹3 लाख 61 हजार रुपये का बिजली बिल, विभाग ने थमाया था नोटिस

भारतबिहार की राजधानी पटना से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर मोकामा में होगा श्री वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर का निर्माण, राज्य सरकार ने उपलब्ध कराई जमीन

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया पटना डेयरी प्रोजेक्ट, सुधा का निरीक्षण, एमडी शीर्षत कपिल अशोक ने दी डेयरी की उपलब्धि की जानकारी