हत्या के बीस साल पुराने मामले में व्यक्ति ने न्यायालय के समक्ष अपराध के समय किशोरावस्था का दावा किया

By भाषा | Updated: August 14, 2021 16:23 IST2021-08-14T16:23:15+5:302021-08-14T16:23:15+5:30

In a twenty year old murder case, the man claimed adolescence at the time of the crime before the court | हत्या के बीस साल पुराने मामले में व्यक्ति ने न्यायालय के समक्ष अपराध के समय किशोरावस्था का दावा किया

हत्या के बीस साल पुराने मामले में व्यक्ति ने न्यायालय के समक्ष अपराध के समय किशोरावस्था का दावा किया

नयी दिल्ली, 14 अगस्त एक महिला की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे एक व्यक्ति ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष याचिका दाखिल कर दावा किया है कि अप्रैल 2001 में घटना के समय वह किशोर था।

शीर्ष अदालत व्यक्ति की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें उसने कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा उसे दोषी ठहराने और सजा देने के फैसले को बरकरार रखने को चुनौती दी है। इस व्यक्ति ने अपने वकील द्वारा दायर याचिका में पहली बार किशोरावस्था का मुद्दा उठाया है। उसने यह मुद्दा इस साल 19 फरवरी को ओडिशा के भद्रक जिला स्थित स्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर उठाया है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के प्रमाण पत्र में अंकों और शब्दों में दर्ज जन्मतिथि में ‘निश्चित तौर पर विसंगति’ है।

शीर्ष अदालत ने भद्रक जिले के सत्र न्यायालय को निर्देश दिया कि जिस अवधि को लेकर सवाल उठाया गया है, उस समय के मूल स्कूल रिकॉर्ड और सत्यापित छाया प्रति स्कूल से प्राप्त कर अदालत को उपलब्ध कराए।

न्यायालय ने पिछले सप्ताह पारित आदेश में कहा, ‘‘सत्र न्यायाधीश स्कूल के प्रधानाध्यापक का बयान दर्ज करे और उसे इस अदालत को भेजे। सत्र न्यायाधीश प्रधानाध्यापक से यह भी प्रमाणित कराएं कि 19 फरवरी 2021 को जारी प्रमाण पत्र क्या उनके द्वारा जारी किया गया, अगर जारी किया गया तो किस आधार पर।’’

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के स्कूल रिकॉर्ड में जन्म तिथि अंकों में 20 मई, 1984 दर्ज की गई है जबकि शब्दों में 20 जुलाई, 1984 दर्ज है।

अदालत ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर उपरोक्त में शब्दों और अंकों में दर्ज जन्मतिथि में अंतर हैं। हालांकि, याचिका में अनुरोध किया गया है कि इस मामले में किसी भी दृष्टि से घटना के दिन (17 अप्रैल, 2001) को याचिकाकर्ता किशोर होगा।’’

पीठ ने सत्र न्यायाधीश को अपनी रिपोर्ट दस्तावेजों और प्रधानाध्यापक के बयान के साथ आदेश की प्रति मिलने के चार हफ्ते में सौंपने को कहा है। इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 20 सितंबर तक के लिए टाल दी है।

उल्लेखनीय है कि इस व्यक्ति को निचली अदालत ने मार्च 2004 में भारतीय दंड संहिता की धारा-302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय ने पिछले साल सितंबर में उसकी याचिका खारिज करते हुए सजा बरकरार रखी थी।

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Web Title: In a twenty year old murder case, the man claimed adolescence at the time of the crime before the court

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