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1918 में प्रथम विश्वयुद्ध के विराम का जश्न पटना में मनाने के लिए इमारतों को किया गया था रोशन

By भाषा | Updated: November 11, 2020 20:11 IST

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पटना, 11 नवम्बर ग्यारह नवंबर 1918 को हस्ताक्षरित उस युद्धविराम समझौते का जश्न मनाने के वास्ते पटना में गरीबों को भोजन एवं कपड़े वितरित किए गए थे, सार्वजनिक भवनों को रोशन किया गया था। इसके जश्न के तहत पटना के बांकीपुर लॉन में छात्रों एवं सैनिकों के लिए मुफ्त सिनेमा शो आयोजित किए गए थे जो प्रथम विश्वयुद्ध के अंत का प्रतीक था। यह जानकारी दुर्लभ अभिलेखागारों से मिली है।

पश्चिमी मोर्चे पर शत्रुता समाप्त करने के लिए मित्र देशों की सेना और जर्मनी के बीच फ्रांस में युद्धविराम पर हस्ताक्षर स्थानीय समय अनुसार सुबह किया गया था और यह ‘‘1918 के ग्यारहें महीने, ग्यारहें दिन और ग्यारह बजे’’ प्रभावी हुआ था।

102 वर्ष पहले बिहार और उड़ीसा के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एडवर्ड ए गैट की देखरेख में पटना में 25-27 नवंबर को इस समारोह का भव्य आयोजन किया गया था।

एक सदी पहले आयोजित ये ऐतिहासिक घटनाएं पटना शहर के प्रसिद्ध किला हाउस से जुड़े दुर्लभ व्यक्तिगत अभिलेखागार के कारण प्रकाश में आई हैं।

पटना के तत्कालीन कमिश्नर सीईएडब्ल्यू ओल्डहम द्वारा 21 नवंबर, 1918 को जारी एक पत्र के अनुसार पटना के निवासियों की एक सार्वजनिक बैठक हुई थी जिसकी अध्यक्षता लेफ्टिनेंट गवर्नर ने की थी। इसके अनुसार उक्त बैठक में युद्धविराम के जश्न के तहत पटना में समारोह आयोजन की व्यवस्था के लिए सर सईद अली इमाम, केसीएसआई की अध्यक्षता में एक ‘‘कार्यकारी समिति’’ गठित करने का निर्णय लिया गया था।

सर अली इमाम और उनके भाई हसन इमाम पटना के प्रसिद्ध बैरिस्टर और जाने-माने व्यक्ति थे।

विभिन्न उप-समितियों का भी गठन किया गया था और अंतत: तीन दिवसीय कार्यक्रम की योजना बनाई गई तथा मुख्य कार्यक्रम स्थल बांकीपुर लॉन (अब गांधी मैदान) था।

अभिलेखीय दस्तावेजों के अनुसार, 25 नवंबर, 1918 को लॉन में स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए खेल प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। उसके बाद ‘‘छात्रों के लिए मुफ्त सिनेमैटोग्राफ शो’’ हुआ था।

अगले दिन, पटना सिटी के मेंगल टैंक में गरीबों को भोजन और कपड़े वितरित किए गए। दीनापुर छावनी (अब दानापुर छावनी) में तैनात सैनिकों के लिए खेलों का आयोजन करने के साथ ही चाय की व्यवस्था लॉन में की गई। उसके बाद ‘‘सैनिकों के लिए मुफ्त सिनेमाटोग्राफ शो’’ का आयोजन किया गया।

किला हाउस के जालान परिवार के 43 वर्षीय आदित्य जालान के पास मौजूद एक कार्यक्रम पत्रक के अनुसार 27 नवंबर को बांकीपुर लॉन में गरीबों को भोजन और कपड़े वितरित किए गए थे और शाम को सार्वजनिक भवनों को रोशन किया गया था और आतिशबाजी का आयोजन किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘दिलचस्प बात यह है कि शांति समारोहों के वित्तपोषण के योगदानकर्ताओं में सेंट जोसेफ कॉन्वेंट भी थे जिन्होंने दस्तावेजों के अनुसार, 500 रुपये मूल्य के कपड़े, कंबल और जूते आदि दिये थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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