नई दिल्ली, 19 सितंबर: विज्ञान भवन में राष्ट्रीय संघ सेवक (आरएसएस) के तीन दिवसीय कार्यक्रम 'भारत का भविष्य' का आयोजन चल रहा है। इस कार्यक्रम संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी है। हिंदुत्व पर बात करते हुए उन्होंने कहा है- 'अन्य मंठपंथों के साथ तालमेल करने वाली एकमात्र विचारधारा, ये भारत की विचाराधारा है। हिंदुत्व की विचाराधारा है। भारत में रहने वाले सभी लोग हिंदू ही हैं, पहचान की दृष्टि से और राष्ट्रीयता की दृष्टि से।'
देश में हो गौरक्षा के नाम पर हो रही मॉब लिंचिंग पर बात करते हुए उन्होंने कहा है- 'क्यों सिर्फ गाय के मुद्दों पर, किसी भी और मुद्दे पर कानून अपने हाथ में लेना गलत है। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन गाय भक्ति का मामला है। गौरक्षा तो होनी चाहिए। संविधान का भी मार्गदर्शक तत्व है तो उसका पालन भी होना चाहिए।'
गौरक्षा पर बात करते हुए मोहन भागवत ने कहा- 'लेकिन गौरक्षा केवल कानून से नहीं होती है। गौरक्षा करने वाले देश के नागरिक गाय को पहले रखें। गाय को रखें नहीं और खुला छोड़ देंगे तो उपद्रव होगा तो गौरक्षा के बारे में आस्था पर प्रश्न लगता है।'
संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम में बोलते हुए आरएसएस प्रमुख ने तमाम मुद्दों पर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा है कि हिंदुत्व के खिलाफ कोई आक्रोश नहीं, हिंदुत्व की स्वीकार्यता विश्व भर में बढ़ रही है। हमें एक ऐसा माहौल बनाना होगा जहां महिलाएं सुरक्षित और संरक्षित महसूस करें। अंग्रेजी से हमारी कोई दुश्मनी नहीं है, हमें इस भाषा में धाराप्रवाह बोलने वाले लोग चाहिए। आपको अंग्रेजी समेत किसी भी भाषा का विरोध नहीं करना चाहिए।अंतरजातीय विवाह के मुद्दे पर मोहन भागवत ने कहना है कि संघ अंतरजातीय विवाह के खिलाफ नहीं है और यह पुरुष तथा महिला के बीच तालमेल का मुद्दा है। अंतरजातीय विवाह, शिक्षा और जातीय व्यवस्था जैसे मुद्दों पर अनेक प्रश्नों का उत्तर देते हुए भागवत ने कहा कि अगर अंतरजातीय विवाहों की गिनती करा ली जाए तो उनमें अधिकतम मामले संघ से होंगे।