प्रदूषण काबू करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेश लागू करें: न्यायालय का केंद्र, एनसीआर राज्यों को निर्देश

By भाषा | Updated: December 3, 2021 13:08 IST2021-12-03T13:08:07+5:302021-12-03T13:08:07+5:30

Implement the orders of the Air Quality Management Commission to control pollution: Center of the court, instructions to NCR states | प्रदूषण काबू करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेश लागू करें: न्यायालय का केंद्र, एनसीआर राज्यों को निर्देश

प्रदूषण काबू करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेश लागू करें: न्यायालय का केंद्र, एनसीआर राज्यों को निर्देश

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के राज्यों को शुक्रवार को निर्देश दिए कि वे वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन संबंधी आयोग के आदेशों को लागू करें।

न्यायालय ने इस बात पर दुख जताया कि मीडिया के कुछ वर्गों ने उसे ऐसे ‘‘खलनायक’’ के तौर पर ‘‘चित्रित’’ किया है, जो यहां स्कूलों को बंद कराना चाहता है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की विशेष पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा उठाए कदमों का भी संज्ञान लिया और केंद्र, दिल्ली और एनसीआर के राज्यों से निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया।

आयोग ने एक हलफनामे में पीठ को बताया कि दिल्ली एवं एनसीआर में वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए पांच सदस्यीय एक प्रवर्तन कार्य बल गठित किया गया है।

हलफनामे में कहा गया है कि 17 उड़न दस्तों का गठन किया गया है, जो न्यायालय और आयोग के आदेशों के तहत विभिन्न कदमों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे और 24 घंटों में इनकी संख्या बढ़ाकर 40 की जाएगी।

इसमें कहा गया है कि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले और स्वच्छ ईंधन की मदद से चलने वाले ट्रकों को छोड़कर शेष ट्रकों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है।

पीठ ने इन कदमों का संज्ञान लेते हुए कहा, ‘‘हमने केंद्र और दिल्ली सरकार के हलफनामे पर गौर किया है। हमने प्रस्तावित निर्देशों पर विचार किया है। हम केंद्र और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार को निर्देश देते हैं कि वे दो दिसंबर के आदेश लागू करें और हम अगले शुक्रवार को मामले की सुनवाई करेंगे।’’

मामले की सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने कुछ समाचार रिपोर्ट का जिक्र किया और कहा कि ‘‘जानबूझकर या अनजाने में’’ एक संदेश भेजा जा रहा है कि न्यायालय ‘‘खलनायक’’ है और वह स्कूल बंद करने का आदेश दे रहा है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमने एक बात पर गौर किया है कि जाने-अनजाने में मीडिया के कुछ वर्ग हमें ऐसे खलनायक की तरह पेश कर रहे हैं, जो स्कूल बंद कराना चाहता है। आपने (दिल्ली सरकार ने) अपने आप स्कूल खोल दिए, लेकिन समाचार पत्रों को देखिए...।’’

दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने एक मीडिया रिपोर्ट का जिक्र किया और कहा कि एक अंग्रेजी समाचार पत्र ने अपनी खबर में कहा कि शीर्ष अदालत ने प्रशासन अपने हाथ में लेने की धमकी दी है।

इस पर, पीठ ने कहा, ‘‘आप (दिल्ली सरकार) इन सब बातों की निंदा कर सकते हैं, लेकिन हम कहां जाएं? हमने कब कहा कि हम प्रशासनिक भूमिका निभाएंगे।... हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। एक राजनीतिक दल संवाददाता सम्मेलन कर सकता है, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते।’’

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हल्के फुल्के लहजे में लेखक मार्क ट्वेन को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘यदि आप समाचार पत्र नहीं पढ़ते हैं, तो आपको खबरों की जानकारी नहीं रहती और यदि आप उन्हें पढ़ते हैं, जो आपको गलत जानकारी मिलती है।’’

पीठ ने कहा कि प्रदूषण बढ़ने का मामला विरोधात्मक मुकदमा नहीं है और वह समाधान पर नजर बनाए रखेगा।

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह उन निर्देशों के खिलाफ अपनी शिकायत को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन संबंधी आयोग के पास जाए, जिनमें कहा गया है कि एनसीआर में स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल नहीं करने वाले उद्योगों को एक दिन में केवल आठ घंटे चालू रखने की अनुमति दी जाएगी।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि इस मौसम में गन्ने की पेराई का काम लगातार चलता है और ये निर्देश किसानों को नुकसान पहुंचाएंगे।

न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार को प्रदूषण काबू करने के लिए 24 घंटे में सुझाव देने का निर्देश देते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में खराब होती वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए जमीनी स्तर पर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा।

शीर्ष अदालत पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और कानून के छात्र अमन बांका द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने छोटे और सीमांत किसानों को पराली हटाने की मशीन मुफ्त में उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की थी।

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Web Title: Implement the orders of the Air Quality Management Commission to control pollution: Center of the court, instructions to NCR states

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