आईआईटी मंडी ने आलू में रोग का पता लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित मॉडल विकसित किया
By भाषा | Updated: July 12, 2021 14:04 IST2021-07-12T14:04:09+5:302021-07-12T14:04:09+5:30

आईआईटी मंडी ने आलू में रोग का पता लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित मॉडल विकसित किया
नयी दिल्ली, 12 जुलाई भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी ने आलू की पत्तियों की तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित एक ‘कंप्यूटेशनल मॉडल’ विकसित किया है, जिसकी मदद से आलू की फसल में रोग का पता लगाया जा सकेगा।
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के सहयोग से किये गये इस अनुसंधान में पत्तियों में रोगग्रस्त हिस्से का पता लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल किया गया।
यह अध्ययन प्लांट फेनोमिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
आईआईटी मंडी द्वारा विकसित किया गया कंप्यूटेशनल उपकरण आलू की पत्तियों की तस्वीरों में क्षतिग्रस्त हिस्से का पता लगा सकता है। अनुसंधानकर्ता इस उपकरण को कहीं अधिक व्यावहारिक इस्तेमाल के लिए एक स्मार्टफोन एप्लीकेशन में तब्दील करने पर काम कर रहे हैं।
अनुसंधान टीम के मुताबिक विश्व के इतिहास में आलू 19वीं सदी के मध्य में बड़े अकाल का कारण रहा है, जिसने आयरलैंड में 10 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली थी और इसने आयरिश भाषा के ताबूत में आखिरी कील ठोंक दी। इसका कारण आलू का रोगग्रस्त होना था।
आईआईटी, मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग ऐंड इजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर श्रीकांत श्रीनिवासन ने कहा, ‘‘आलू के पौधे में इसकी पत्तियों का कुम्हलाना एक सामान्य रोग है। यह रोग अनुकूल दशा में एक हफ्ते में पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है। ’’
उन्होंने बताया, ‘‘भारत में, जैसा कि ज्यादातर विकासशील देशों के मामले में है, इस रोग की पहचान प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा खेतों का भ्रमण कर की जाती है। यह खासतौर पर दूर-दराज के इलाकों के लिए थकाऊ और अव्यावाहारिक होती है, क्योंकि इसमें बागवानी विशेषज्ञ की जरूरत होती है, जो खेतों तक नहीं पहुंच पाते हैं।’’
आईआईटी मंडी में अनुसंधानकर्ता जो जॉनसन ने बताया कि इस नयी खोज से इस समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है और इस सिलसिले में स्मार्टफोन एक उपयोगी उपकरण हो सकता है।
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