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आईआईटी खड़गपुर ने ‘कोविरैप’ जांच प्रौद्योगिकी लांच की

By भाषा | Updated: April 21, 2021 18:52 IST

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कोलकाता, 21 अप्रैल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर ने सफलतापूर्वक अपने स्वास्थ्य देखभाल उत्पाद ‘कोविरैप’ को व्यावासयिक आधार पर लांच कर दिया है। संस्थान ने बुधवार को बताया कि यह जांच प्रौद्योगिकी कोविड-19 सहित संक्रामक बीमारियों के खिलाफ कारगर है।

इस उत्पाद को अनुसंधानकर्ता प्रोफसेर सुमन चक्रवर्ती, डॉ.अरिंदम मंडल और उनके अनुंसधान समूह ने विकसित किया है और इसके व्यावसायिक उत्पादन के लिए रैपिड डायगोनस्टिक ग्रुप ऑफ कंपनीज, भारत और ब्रामेरटन होल्डिंग एलएलसी, अमेरिका को लाइसेंस दिया गया है।

इस मौके पर संस्थान ने बुधवार को ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया और इसकी घोषणा के लिए संस्थान के निदेशक और अनुसंधानकर्ता मौजूद रहे।

आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रोफेसर वीके तिवारी ने कहा, ‘‘यह कदम ऐसे कठिन समय उठाया जा रहा है जब कोविड-19 का संक्रमण तेजी से फैल रहा है जिसे आम भाषा में संक्रमण की दूसरी लहर कहा जा रहा है, पहले से अधिक तेजी से इसके फैलने का खतरा बना हुआ है।’’

तिवारी ने कहा,‘‘ इससे भी अधिक कोविरैप के व्यावसायिकरण से भारत में स्वदेशीकरण की शुरुआत होगी और भारतीय बाजार में सस्ते स्वास्थ्य उत्पाद उपलब्ध होंगे । साथ ही वैश्विक बाजार में जो खाई है उसे भरने के लिए इस तरह की तकनीक की जरूरत है।’’

चक्रवर्ती ने बताया कि अनुसंधान टीम ने ‘आइसोथर्मल न्यूक्लिक एसिड’जांच प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर कोविरैप का अद्यतन संस्करण तैयार किया जिससे सार्स-कोव-2 (सामान्य भाषा में कोरोना वायरस) सहित विषाणुओं के संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।

इसके जरिये कोविड-19 की जांच सीधे व्यक्ति की लार के नमूने और टीम द्वारा तैयार पोर्टेबल उपकरण से की जा सकती है, इसमें अलग से आरएनए (विषाणु की आनुवांशिकी पदार्थ) निकालने की सुविधा की जरूरत नहीं होती।

उन्होंने बताया कि मरीज का नमूना लेने के महज 45 मिनट में नतीजे आ जाते हैं।

त्वरित नतीजे के लिए इस किट के साथ मुफ्त मोबाइल ऐप को भी पूरक के तौर तैयार किया गया है।

चक्रवर्ती ने बताया कि जांच के दौरान नाक और मुंह से नमूने लिए जाते हैं और उसे घोल में डालकर पतला किया जाता है व इसके बाद प्रतिक्रियाशील द्रव्य (जिसकी आपूर्ति पहले ही तैयार स्वरूप में होती है)डालकर पोर्टेबल उपकरण में जांच की जाती है और बिना व्यक्तिगत हस्तक्षेप स्वत: ही नतीजे आ जाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने क्षेत्र में इसका प्रशिक्षण अकुशल कर्मियों की मदद से गुणवत्ता से समझौता किए बिना किया। सभी नमूनों के एकत्र करने और उनकी जांच करने की प्रक्रिया पोर्टेबल उपकरण से कहीं भी जा सकती है और इसके लिए अधिक प्रशिक्षण देने की जरूरत नहीं होती, इसलिए यह प्रौद्योगिकी समुदाय स्तर पर जांच के लिए कारगर है ताकि समय रहते महामारी का पता लगाया जा सके।’’

चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘यह समुदाय स्तर पर संक्रमण को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है।’’

अनुसंधानकर्ताओं ने दावा किया है कि कोविरैप में उन समस्याओं का समाधान है जिसका सामना इसी तरह की अन्य जांच में करना पड़ता है।

इस प्रौद्योगिकी को आईआईटी खड़गपुर के नाम पेटेंट करने के लिए अमेरिका और भारत सहित विभिन्न देशों में आवेदन किया गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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