आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की जीत, मोदी सरकार ने 25 हजार रुपये जुर्माना का भुगतान किया
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 8, 2019 21:10 IST2019-08-08T21:10:09+5:302019-08-08T21:10:09+5:30
चतुर्वेदी को केंद्र सरकार की ओर से 25 हजार रुपये का ड्राप्ट सौंप दिया गया है। यह जानकारी केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दी गई। कोर्ट ने एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को अवमानना नोटिस जारी कर मामले में जवाब देने को कहा था।

संजीव के अनुसार 2014 में उनके द्वारा एम्स में अनियमितता के 13 मामले पकड़े। जिसके बाद ही एम्स से हटा दिया गया।
दिल्ली के एम्स मामले में अवमानना की कार्यवाही से बचने के लिए आखिरकार केंद्र सरकार ने भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को 25 हजार रुपये जुर्माना का भुगतान किया है।
चतुर्वेदी को केंद्र सरकार की ओर से 25 हजार रुपये का ड्राप्ट सौंप दिया गया है। यह जानकारी केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दी गई। कोर्ट ने एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को अवमानना नोटिस जारी कर मामले में जवाब देने को कहा था।
उत्तराखंड के हल्द्वानी में वन संरक्षक पद पर तैनात आइएफएस संजीव ने कैट की कोर्ट में दो प्रार्थना पत्र दाखिल किए थे। एक में उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा उनकी चरित्र पंजिका में किए गए जीरो अंकन मामले में दिया हलफनामा झूठा है।
संजीव ने इस मामले में आपराधिक केस चलाने का आदेश पारित करने की फरियाद की थी। जबकि दूसरे में उन्होंने एम्स दिल्ली में घपलों का उल्लेख किया। साथ ही कहा कि इसी वजह से उन्हें निशाना बनाया गया। संजीव के अनुसार 2014 में उनके द्वारा एम्स में अनियमितता के 13 मामले पकड़े। जिसके बाद ही एम्स से हटा दिया गया।
कैट की कोर्ट ने दोनों मामलों में जवाब दाखिल करने के आदेश पारित किए। हाईकोर्ट ने पिछले साल संजीव की एसीआर में जीरो अंकन को प्रतिशोधात्मक कार्रवाई बताते हुए केंद्र पर 25 हजार जुर्माना लगा दिया। इस आदेश को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दी।
सुप्रीम कोर्ट ने न केवल हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया बल्कि जुर्माना 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दिया। इसके बाद संजीव द्वारा 26 जून को हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई। न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद एम्स निदेशक व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया था।
इधर अवमानना नोटिस जारी होने के बाद केंद्र सरकार द्वारा जुर्माने की 25 हजार की रकम का चेक कोर्ट में जमा कर दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट में भी जुर्माने की रकम जमा की जा चुकी है। संजीव हरियाणा में पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेंदर सिंह हुड्डा सरकार से अदालती लड़ाई में भी जीत दर्ज कर वहां की सरकार को जुर्माना अदा करने को मजबूर कर चुके हैं।
क्या था मामला
आइएफएस संजीव चतुर्वेदी के चरित्र पंजिका पर जीरो अंकन का मामला कैट में विचाराधीन है। कैट चेयरमैन संजीव के केस को दुर्लभ श्रेणी का बता चुके हैं। साथ ही वादी को दूसरे सक्षम न्यायालय में वाद दायर करने व रजिस्ट्रार को उन्हें केस से संबंधित फाइल लौटाने के निर्देश दे चुके हैं।
पिछले साल जुलाई में कैट चेयरमैन न्यायमूर्ति एल. नरसिम्हन रेड्डी ने मैग्ससे पुरस्कार विजेता संजीव के सीआर से संंबंधित नैनीताल बेंच में चल रही सुनवाई को छह माह के लिए स्थगित कर दिया था। एम्स दिल्ली ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।
सर्वोच्च न्यायालय ने नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए केंद्र पर 25 हजार जुर्माना और लगा दिया था। 20 फरवरी को हाई कोर्ट ने कैट चेयरमैन के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के खिलाफ जस्टिस रेड्डी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस पर तीन माह के लिए रोक लगा दी। 29 मार्च को जस्टिस रेड्डी ने खुद को इस मामले से अलग करने का फैसला किया।
