देश वर्क फ्रॉम होम में था और इफको टोक्यो इंश्योरेंस ने 67 कर्मचारियों का देशव्यापी ट्रांसफर कर दिया

By निखिल वर्मा | Updated: June 6, 2020 06:22 IST2020-06-06T06:22:44+5:302020-06-06T06:22:44+5:30

जब कंपनियां स्टाफ को घर से काम करने कह रही थीं तब इफको टोक्यो ने 67 कर्मचारियों को ट्रांसफर ऑर्डर थमाकर 1 जून से पहले पुरानी पोस्टिंग का चार्ज देकर नई पोस्टिंग ज्वाइन करने के लिए घर से बाहर निकलने को मजबूर किया।

iffco tokio transferred 67 employee during coronavirus lockdown | देश वर्क फ्रॉम होम में था और इफको टोक्यो इंश्योरेंस ने 67 कर्मचारियों का देशव्यापी ट्रांसफर कर दिया

इफको टोक्यो देश की चौथी सबसे बड़ी बीमा कंपनी है (फाइल फोटो)

Highlights 67 लोगों में करीब एक दर्जन स्टाफ ऐसे हैं जिनका ट्रांसफर एक राज्य से दूसरे राज्य किया गया है। कई कर्मचारियों ने कोरोना वायरस के खतरे के बीच ट्रांसफर वाली जगह पर जाकर ज्वाइन भी कर लिया है

जब पूरा देश कोरोना के संक्रमण को रोकने और उससे बचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन ऐलान के बाद घर पर रहकर सुरक्षित तरीके से काम कर रहा था तब 19 मई को बीमा कंपनी इफको टोक्यो जनरल इंश्योरेंस ने 67 कर्मचारियों का ट्रांसफर कर दिया। देश में 31 मई तक चौथे चरण का लॉकडाउन लागू था जिस दौरान देश की चौथी सबसे बड़ी बीमा कंपनी इफको टोक्यो ने 67 कर्मचारियों को ना सिर्फ ट्रांसफर का आदेश थमाया बल्कि 1 जून या उससे पहले पोस्टिंग की नई जगह पर ज्वाइन करने का आदेश दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने 24 मार्च को जब लॉकडाउन का ऐलान किया था तब गृह मंत्रालय के गाइडलाइंस में जरूरी सेवाओं को छूट दी गई थी और उसमें इंश्योरेंस ऑफिस भी शामिल थे। जाहिर तौर पर बीमा कंपनियों को ये छूट अनिवार्य सेवा जैसे नई बीमा पॉलिसी, पुरानी पॉलिसी के रेन्यूअल या बीमा के एवज में क्लेम के भुगतान के लिए दी गई थी। ट्रांसफर-पोस्टिंग रेगुलर प्रशासनिक काम है जिसे कोरोना लॉकडाउन जैसे असाधारण हालात में करना सरकार से मिली छूट की भावना के खिलाफ है।

जब कंपनियां स्टाफ को घर से काम करने कह रही थीं तब इफको टोक्यो ने 67 कर्मचारियों को ट्रांसफर ऑर्डर थमाकर 1 जून से पहले पुरानी पोस्टिंग का चार्ज देकर नई पोस्टिंग ज्वाइन करने के लिए घर से बाहर निकलने को मजबूर किया। लोकमत न्यूज के पास कंपनी के ट्रांसफर ऑर्डर की कॉपी है जिसके मुताबिक 67 लोगों में करीब एक दर्जन स्टाफ ऐसे हैं जिनका ट्रांसफर एक राज्य से दूसरे राज्य किया गया है। ट्रांसफर हुए काफी लोग जान का जोखिम उठाकर सार्वजनिक परिवहन में कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच नई जगह पहुंच चुके हैं। कुछ ने योगदान दे दिया है तो कुछ दूसरे प्रदेश से आने की वजह से क्वारंटाइन में हैं। 

ट्रांसफर ऑर्डर में ये लिखा गया है कि जिनका ट्रांसफर हुआ है वो 1 जून या उससे पहले सही तरीके से चार्ज का हैंड ओवर देकर नए एसाइनमेंट पर काम करें। हालांकि आदेश में ये कहा गया है कि ट्रांसफर आदेश के तहत नई जगह पर जाने में सरकारी गाइडलाइंस का पालन करें। लेकिन सवाल उठता है कि जब देश में 31 मई तक लॉकडाउन लागू था और गैर-जरूरी ट्रेवल रोका जा रहा था तो 1 जून या उससे पहले नई जगह पर पोस्टिंग लेने की सलाह देना भी कितना तर्कसंगत है। 

कंपनी ने ट्रांसफर आदेश में 1 जून या उससे पहले की डेडलाइन के साथ सरकारी गाइडलाइंस की आड़ में सलाह दी लेकिन सलाह का स्टाफ पर इतना असर हुआ कि ज्यादातर लोग ट्रेवल के दौरान संक्रमण का खतरा उठाकर भी पोस्टिंग की नई जगह पहुंच गए। औपचारिक सलाह और अनौपचारिक सख्ती का ऐसा घालमेल किया गया कि स्टाफ के पास लॉकडाउन खत्म होने तक चार्ज देने या नई जगह जाने का विकल्प चुनने का स्कोप नहीं बचा। नहीं तो जिस समय लोग घर से बाहर निकलने से बच रहे हों कोई एक शहर से दूसरे शहर सिवाय इसके क्यों ही जाएगा कि ऐसा ना करने पर नौकरी पर आफत आ जाएगी।

देश में 30 जून तक रेगुलर ट्रेन बंद हैं। मई में जो ट्रेन चली हैं उनमें ज्यादातर दो राज्यों की आपसी सहमति से प्रवासी मजदूरों को लाने-पहुंचाने के लिए चलाई गईं। हवाई सेवा भी 25 मई से सीमित तरीके से बहाल की गई है। 31 मई तक सड़क मार्ग से जा रहे लोगों को दूसरे राज्य और जिले की सीमा पार करने के लिए विशेष पास बनवाना पड़ता था। कई राज्यों में 31 मई तक या उसके बाद भी दूसरे राज्यों से आ रहे लोगों को नियम से क्वारंटाइन किया जा रहा है।

ट्रांसफर कर्मचारियों में एक राज्य से दूसरे राज्य गए एक कर्मचारी ने लोकमत न्यूज से फोन पर कहा कि वो इस पर कुछ नहीं बोल सकते और वो मैनेजमेंट के फैसले से खुश हैं। ऐसे ही एक राज्य से दूसरे राज्य गए दूसरे कर्मचारी ने कहा कि कंपनी के ट्रांसफर आदेश पर वो कोई कमेंट नहीं करना चाहते लेकिन वो 31 मई को पोस्टिंग की नई पर जगह पहुंचने के बाद ऑनलाइन ज्वाइनिंग करके 15 दिन के क्वारंटाइन में हैं। 

इस संबंध में लोकमत न्यूज के सवाल पर इफको टोक्यो जनरल इंश्योरेंस के एचआर डिपार्टमेंट के ईडी रमेश कुमार ने कहा- "ये क्या फालतू बातें आप करते हैं। लॉकडाउन कहां है जो ट्रांसफर हुआ है या नहीं हुआ है। आप गलत जगह फोन लगाए हैं। आपको जो लिखना है लिखिए। ये प्राइवेट कंपनी है और इसमें आपकी बात नहीं सुननी है। आप गलत न्यूज बता रहे हैं। आपने गलत नंबर लगा दिया है।" कंपनी की पीआर टीम ने कुछ देर बाद संपर्क करके लोकमत न्यूज से सवाल मांगे जिसे औपचारिक तौर पर भेजने के बाद भी खबर लिखे जाने तक कोई औपचारिक जवाब नहीं आया है। अगर इफको टोक्यो की तरफ से कोई जवाब आता है तो हम उसे समाचार में शामिल करते हुए खबर में जरूरी अपडेट करेंगे।

Web Title: iffco tokio transferred 67 employee during coronavirus lockdown

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