नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना टेस्ट (आरटी-पीसीआर) की कीमत 50 फीसदी घटाकर देश को राह दिखाई है। अन्य राज्य भी ऐसा कर सकते हैं। क्योंकि कोरोना का बढ़ता संक्रमण जहां चिंता का विषय बना हुआ है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में परेशानी इस टेस्ट के महंगा होने को लेकर भी है। आईसीएमआर के प्रमुख वैज्ञानिक और डिप्टी डायरेक्टर डा. रमन गंगाखेड़कर ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा कोरोना टेस्ट की कैपिंग पर लोकमत को बताया कि अब राज्य सरकारों को आरटी-पीसीआर जांच के उपर कैपिंग ठीक करनी होगी। स्वास्थ्य राज्य का विषय है और यह निर्णय राज्यों को करना है।
आईसीएमआर का तर्क है कि जब देश में कोरोना टेस्ट शुरू हुए थे तो लैब भी ज्यादा नहीं थी और टेस्टिंग किट के लिए भारत विदेशी किटस व सामान के भरोसे था लेकिन अब टेस्टिंग किट भारत में बनने लगी हैं और लैब की संख्या एक से बढ़कर 893 पहुंच चुकी है। इसमें 646 सरकारी और 247 प्राइवेट लैब हैं।
प्राइवेट लैब को दाम घटाने हो रहा है विचार
ऐसे में अब प्राइवेट लैब को दाम घटाने के बारे में विचार करना चाहिए। गांव देहात में रहने वाले लोग इतना महंगा टेस्ट नहीं करवा सकते हैं, इसीलिए 4500 रुपए की कीमत को अब कम किए जाने की जरूरत आ चुकी है। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखकर 26 मई को आईसीएमआर के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव ने सभी राज्यों मुख्य सचिवों को एक पत्र लिखा था। उन्होंने इस पत्र में कहा है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्राइवेट लैब से बातचीत करके आपसी सहमति से जांच की कीमत तय कर सकते हैं। क्योंकि देश में कोविड-19 जांच किट की आपूर्ति स्थिर हो गई है।
महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना टेस्ट (आरटी-पीसीआर) पर कैपिंग लगा दी है। कोई भी लैब इस टेस्ट के 2200 रुपए ही लेगी। अगर कोई लैब घर से सैंपल लेती है तो इस टेस्ट के 2800 रुपए से ज्यादा चार्ज नहीं करेगी। महाराष्ट्र में पहले यह टेस्ट 4400 रुपए में हो रहा था।
दिल्ली सरकार भी कोरोना टेस्ट कम कराने की राह पर :
दिल्ली सरकार ने भी महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर कोरोना टेस्ट की कीमत को कम करने के लिए नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी राज्य सरकार को जल्द ही कोरोना टेस्ट की कीमत को कम करने और टेस्टिंग बढ़ाने को लेकर अपने सुझाव देगी।
उल्लेखनीय है कि घर में किसी एक व्यक्ति को भी कोरोना के लक्षण हो जाए, तो पूरे घर का टेस्ट कराने की नौबत आ जाती है। अगर सरकारी अस्पतालों की लाइनों में लगकर और लंबे इंतजार के बाद टेस्ट कराना मुमकिन नहीं हो रहा हो तो बहुत से लोग केवल प्राइवेट लैब्स के भरोसे रह जाते हैं। कोरोना टेस्ट की कीमत घटने से लोगों को सहूलियत होगी।