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रैपिड टेस्ट किट में मिली शिकायत, ICMR ने 2 दिन तक राज्यों को टेस्ट करने से किया मना

By निखिल वर्मा | Updated: April 21, 2020 17:05 IST

राजस्थान सरकार ने कहा है कि रैपिड टेस्ट में करीब 6 फीसदी परिणाम ही सही आ रहा है। गहलोत सरकार ने इन परिणामों को आईसीएमआर को भेजकर पूछा है कि त्वरित जांच किट से आगे परीक्षण जारी रखा जाए या नहीं।

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ठळक मुद्देआईसीएमआर ने बताया है कि अब तक 4,49, 810 सैंपल टेस्ट किए गए हैं. देश में कोरोना वायरस टेस्ट के लिए अभी 280 से ज्यादा केंद्र हैभारत में बीते 24 घंटे में 1336 नए मामले सामने आए हैं, देश में कोरोना के कुल मामले 18,601 हुए, 590 लोगों की मौत

राज्यों द्वारा रैपिड टेस्ट किट में द्वारा जांच परिणाम सही नहीं पाए जाने की शिकायत के बाद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने अगले दो दिन तक राज्यों को रैपिड टेस्ट करने से मना किया है। आईसीएमआर ने कहा है कि रैपिट टेस्ट में एक राज्य सरकार से शिकायत मिली है कि इसके नतीजों में सामान्य से ज्यादा अंतर रहा है, हम इसको देख रहे हैं।

इससे पहले जांच परिणाम सही नहीं पाये जाने के कारण राजस्थान सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए त्वरित जांच किट का इस्तेमाल मंगलवार को रोक दिया। राजस्थान पहला राज्य है जिसने शुक्रवार (17 अप्रैल) से त्वरित जांच किट का इस्तेमाल शुरू किया था। 

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने कहा कि इन किट से परीक्षणों के परिणाम के बारे में एक रपट भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को भेजी गयी है। मंत्री के अनुसार इस किट से केवल पांच प्रतिशत सही या वैध परिणाम मिले हैं। उन्होंने कहा,‘‘पहले ही संक्रमित पाए गए 168 मामलों में इस किट से परीक्षण किया गया लेकिन इसका परिणाम केवल 5.4 प्रतिशत ही सही आ रहा है और जब परिणाम सही नहीं हैं तो इससे परीक्षण करने का क्या फायदा है।' 

शर्मा ने कहा कि जब पहले से ही संक्रमित पाए गए मामलों में ही किट का प्रयोग असफल हो गया तो इससे प्रयोग का कोई फायदा नहीं। उन्होंने कहा,‘‘वैसे भी ये परीक्षण अंतिम नहीं थे क्योंकि बाद में पीसीआर टेस्ट करना होता था। हमारे चिकित्सकों के दल ने सलाह दी है कि इससे जांच का कोई फायदा नहीं है।’’ 

वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने आरोप लगाया है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नोडल एजेंसी एनआईसीईडी ने राज्य में कोविड-19 संबंधी जांच के लिए जिन किट की आपूर्ति की है, वे ‘‘जाहिर तौर पर खराब’’ हैं। सरकार ने यह आरोप लगाते हुए कहा कि ये किट ‘‘अनिर्णायक परिणाम’’ दर्शाती हैं जिसके कारण पुष्टि के लिए बार-बार जांच करनी पड़ती है और बीमारी का पता लगाने में देरी होती है।

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