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आईसीएमआर ने कोविड-19 वैक्सीन के लिए दी 15 अगस्त की डेडलाइन, लेकिन यह कैसे संभव है? 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 5, 2020 08:31 IST

Covid-19 Vaccine in India: आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ भार्गव का कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल जल्द से जल्द पूरा हो जाए जिससे 15 अगस्त को विश्व का पहला कोरोना वैक्सीन दिया जा सके।

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ठळक मुद्देदुनियाभर में इस तरह के विकसित किये जा रहे सभी अन्य टीकों पर भी काम तेज कर दिया गया है। डॉ भार्गव का कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल जल्द से जल्द पूरा हो जाए जिससे 15 अगस्त को विश्व का पहला कोरोना वैक्सीन दिया जा सके।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव की एक चिट्ठी पर काफी सवाल खड़े हो रहे हैं। इस चिट्ठी मे उन्होंने 12 अस्पतालों के प्रमुखों को निर्देश दिया था कि कोविड-19 का मानव परीक्षण 7 जुलाई तक पूरा कर लिया जाए। अन्यथा इसे आदेश की अवहेलना माना जाएगा। डॉ भार्गव का कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल जल्द से जल्द पूरा हो जाए जिससे 15 अगस्त को विश्व का पहला कोरोना वैक्सीन दिया जा सके।

हिंदुस्तान टाइम्स ने कई विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर लिखा है कि 15 अगस्त की डेडलाइन संभव नहीं है। ऐसे निर्देशों ने भारत की शीर्ष मेडिकल शोध संस्था आईसीएमआर की छवि को धूमिल किया है। वैक्सीन निर्माण एक लंबी प्रक्रिया होती है क्योंकि ये लोगों के जीवन की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। इतनी सख्त डेडलाइन निर्धारित करके वैक्सीन का काम नहीं किया जा सकता।

विशेषज्ञों ने उठाए सवाल

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व सचिव के सुजाता राव ने कहा, 'महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है, लेकिन टीका की सुरक्षा और प्रभाव की कीमत पर नहीं। यह 2021 के बजाय 2020 तक वैक्सीन तैयार करने की बात कहना एक टाइपिंग मिस्टेक है। अगर ऐसा नहीं है तो यह गंभीर मामला है, क्योंकि प्रस्तावित कोरोना 15 अगस्त तक अधूरे डाटा के जरिए तैयार हो सकती है। इसके लिए कोई और रास्ता नहीं है।'

विषाणु वैज्ञानिक उपासना राय ने कहा कि कोविड-19 के टीके में क्या हम बहुत ज्यादा जल्दबाजी कर रहे हैं। सीआईएसआर-आईआईसीबी कोलकाता में वरिष्ठ वैज्ञानिक रे ने कहा, हमें सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। इस परियोजना को उच्च प्राथमिकता देना नितांत आवश्यक है।

आईसीएमआर ने दी सफाई 

आईसीएमआर ने कहा कि उसके महानिदेशक के क्लीनिकल परीक्षण स्थलों के प्रमुख अन्वेषकों को लिखे पत्र का आशय किसी भी आवश्यक प्रक्रिया को छोड़े बिना अनावश्यक लाल फीताशाही को कम करना तथा प्रतिभागियों की भर्ती बढ़ाना है। आईसीएमआर ने एक बयान में कहा, ‘‘सर्वश्रेष्ठ तरीकों और सावधानी के बाद परीक्षण किये जाएंगे। आईसीएमआर की प्रक्रिया पूरी तरह महामारी के लिए टीका बनाने की प्रक्रिया को तेज करने के वैश्विक रूप से स्वीकार्य नियमों के अनुरूप है जिसमें मनुष्य और पशुओं पर परीक्षण समानांतर रूप से चल सकता है।’’ 

पत्र में क्या कहा गया है?

भार्गव ने दो जुलाई को चयनित चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों के प्रमुख अन्वेषकों को भारत बायोटेक के साथ साझेदारी में विकसित किये जा रहे टीके ‘कोवेक्सिन’ के लिए मनुष्य के ऊपर परीक्षण की मंजूरी जल्द से जल्द देने को कहा है। आईसीएमआर के बयान में कहा गया कि दुनियाभर में इस तरह के विकसित किये जा रहे सभी अन्य टीकों पर भी काम तेज कर दिया गया है। आईसीएमआर ने कहा कि भारत के औषधि महानियंत्रक ने क्लीनिकल परीक्षणों से पूर्व के अध्ययनों से उपलब्ध आंकड़ों की गहन पड़ताल पर आधारित ‘कोवेक्सिन’ के मानव परीक्षण के चरण 1 और 2 के लिए मंजूरी दी है।

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