हर बदलाव का हिस्सा रही हूं, वक्त के बंधन में कभी नहीं बंधी : सुनिधि चौहान

By भाषा | Updated: November 27, 2021 16:30 IST2021-11-27T16:30:14+5:302021-11-27T16:30:14+5:30

I have been a part of every change, never bound by time: Sunidhi Chauhan | हर बदलाव का हिस्सा रही हूं, वक्त के बंधन में कभी नहीं बंधी : सुनिधि चौहान

हर बदलाव का हिस्सा रही हूं, वक्त के बंधन में कभी नहीं बंधी : सुनिधि चौहान

मुंबई, 27 नवंबर जानी मानी गायिका सुनिधि चौहान ने कहा कि संगीत जगत में उनका दो दशक लंबा करियर लगातार सीखते रहने का सफर रहा है।

चौहान पिछली दो पीढ़ियों की सबसे तेजी से लोकप्रिय होने वाली कलाकारों में रही हैं जिनके गाए गाने आज भी संगीत चार्ट में सबसे ऊपर रहते हैं।

पार्श्व गायिका ने कहा कि उन्हें लगता है कि जैसे यह कल की ही बात है, जब उन्होंने 1996 में 13 साल की उम्र में अपना करियर शुरू किया था, लेकिन जिस चीज ने उन्हें संगीत जगत में प्रासंगिक बनाए रखा है, वह है "प्रयोग" करने की उनकी इच्छा।

चौहान ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “मुझे नहीं पता कि यह 25 साल कैसे बीत गए। ये शानदार रहे। मैंने आगे बढ़ने का हर तरीका सीखा। मैंने जब इस उद्योग में कदम रखा था, तब मुझे पता था कि मेरी जरूरत नहीं है। लोग उनके पास जो था, उससे खुश थे और उस वक्त कई दिग्गज गायक थे।”

उन्होंने कहा, “लेकिन सौभाग्य से मुझे वह एक मौका मिला, जब किसी ने मुझ पर भरोसा किया और महसूस किया कि वे बदलाव, एक नयी आवाज चाहते हैं और मैंने गाना शुरू किया। फिर एक अलग समय आया, जब संगीत बदलने लगा और लोग जिस तरह का संगीत सुनते थे, वह भी बदलने लगा। मैं हर बदलाव का हिस्सा रही हूं, जिसके लिए मैं शुक्रगुजार हूं।”

चौहान सिर्फ 13 साल की थीं, जब उन्होंने 1996 की फिल्म ‘शास्त्र’ के लिए ‘लड़की दीवानी लड़की दीवाना’ गीत के साथ पार्श्व गायिका के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। गायिका को उर्मिला मातोंडकर अभिनीत "मस्त" (1999) के साथ बड़ा ब्रेक मिला, जिसमें उन्होंने ‘रुकी रुकी’ और ‘मैं मस्त’ जैसे गाने गाए और इसके बाद ‘फ़िज़ा’ का चार्टबस्टर ‘महबूब मेरे’ गाया।

चौहान 2000 के दशक में ‘चमेली’, ‘धूम’, ‘ओंकारा’, ‘बंटी और बबली’, ‘रेस’ और ‘लव आज कल’ जैसी फिल्मों में लगातार हिट के साथ सबसे लोकप्रिय पार्श्व गायकों में से एक के रूप में उभरीं। बीते एक दशक में, गायिका ने तेज गानों को गाने की अपनी खासियत बरकरार रखी, लेकिन ‘धूम 3’ से ‘कमली’, ‘पीकू’ में शीर्षक गीत, ‘राज़ी’ से ‘ऐ वतन’ या पिछले साल की फिल्म ‘दिल बेचारा’ से एआर रहमान की ‘मसखरी’ जैसे अन्य गानों के साथ भी सफलतापूर्वक प्रयोग किया।

38 वर्षीय गायिका ने कहा कि उनकी कोशिश हमेशा वक्त के साथ चलते रहने की रही है। यूं तो उन्होंने हमेशा फिल्मों के लिए ही गाने गए हैं लेकिन अब वह स्वतंत्र संगीत की तरफ भी कदम बढ़ा रही हैं।

गायिका ने खुलासा किया कि उन्होंने आइटम गीतों को अक्सर न कहा है क्योंकि वह नहीं चाहती कि लोग उन्हें सिर्फ ऐसे ही गानों के लिए पहचानें।

यही कारण है कि डिज्नी प्लस हॉटस्टार की श्रृंखला ‘दिल बेकरार’ में उन्हें जिस काम की पेशकश की जा रही थी, उसने उनका ध्यान खींचा। उन्होंने हितेश मोदक द्वारा रचित श्रृंखला के गीत ‘ये प्यार मिलता है कहां’ के लिए अपनी आवाज दी है।

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