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सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में संशोधन का मुझे कोई औचित्य नजर नहीं आता: श्याम बेनेगल

By भाषा | Updated: July 2, 2021 17:12 IST

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मुंबई, दो जुलाई जाने माने फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने कहा कि सरकार की फिल्म प्रमाणन में कोई भूमिका नहीं है और सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में संशोधन के केन्द्र के प्रस्ताव पर फिल्मकारों की चिंता ‘‘स्वाभाविक’’ है।

दरअसल 18 जून को केन्द्र ने मसौदा सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2021 पर जनता की राय मांगी जिसमें फिल्मों की पायरेसी पर जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान प्रस्तावित है। इसमें केंद्र सरकार को शिकायत मिलने के बाद पहले से प्रमाणित फिल्म को पुन: प्रमाणन का आदेश देने का अधिकार भी प्रस्तावित किया गया है।

फिल्म जगत से जुड़े लोगों जिनमें अभिनेता और फिल्मकार भी शामिल हैं, ने इस प्रस्ताव को ‘‘ फिल्म समुदाय के लिए बड़ा झटका’’ करार दिया था क्योंकि उनका मानना है कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है। इन लोगों ने शुक्रवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र भी दिया है।

बेनेगल ने कहा कि प्रस्तावित संशोधनों का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘ मुझे समझ नहीं आ रहा कि यह बात क्यों आई। मैं वाकई समझ नहीं पा रहा हूं कि इसकी जरूरत क्या है। अगर वे नियंत्रित करना चाहते हैं और वे जिस प्रकार से चाहते हैं, उसी प्रकार से संचालित करने का निर्णय कर चुके हैं.....मीडिया को नियंत्रित करना चाहते हैं। हम लोकतांत्रिक देश हैं, हमारा मीडिया स्वतंत्र होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) का तंत्र मौजूद है तो, किसी प्रकार का बाहरी नियंत्रण नहीं होना चाहिए,खासतौर पर सरकार का।

बेनेगल ने कहा, ‘‘इस मामले में सरकार की कोई भूमिका नहीं है, क्योंकि उन्होंने पहले ही सीबीएफसी की व्यवस्था बनाई हुई है। तो फिर सरकार को इसमें वापस आने की जरूरत क्या है? स्वाभाविक है कि फिल्मकार चिंतित होंगे कि सरकार को इतनी चिंता किस बात की है।’’

बेनेगल की अगुवाई वाली समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि एक फिल्म में संशोधन या बदलाव थोपने की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए और सीबीएफसी को विशुद्ध रूप से प्रमाणन ईकाई के रूप में काम करना चाहिए।

हालांकि बेनेगल ने कहा कि उन्हें उस रिपोर्ट की मौजूदा स्थिति या सिफारिशों को कभी लागू किए जाने के संबंध में ‘कोई जानकारी नहीं ’’ है।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय को संशोधन के संबंध में भेजे गए पत्र पर तीन हजार से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हैं जिनमें विशाल भारद्वाज, अनुराग कश्यप, शबाना आजमी भी शामिल हैं ।

पत्र में कहा गया है, ‘‘ हम सिफारिश करते हैं कि केंद्र सरकार को किसी फिल्म के प्रमाणपत्र को वापस लेने की शक्तियां विधेयक में से हटाई जानी चाहिए।’’

बेनेगल ने कहा कि मौजूदा अधिनियम में पहले से ही यह प्रावधान है कि यदि कोई फिल्म ‘‘घोर असंवैधानिक’’ या राष्ट्रीय अखंडता के लिए ‘‘खतरा’’ है तो सरकार उस फिल्म को वापस ले सकती है। उन्होंने कहा, लेकिन इसकी ‘‘सरकार विरोधी ’’ के रूप में भी व्याख्या की जा सकती है जो कि ‘‘समस्या पैदा करेगा।’’

फिल्म निर्माता ने कहा कि असहमति का गला घोंटना स्वाभाविक रूप से चिंताजनक होगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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