उत्तर कर्नाटक में भूकंप के झटकों की वजह ‘हाइड्रो सिस्मीसिटी’
By भाषा | Updated: October 15, 2021 15:38 IST2021-10-15T15:38:08+5:302021-10-15T15:38:08+5:30

उत्तर कर्नाटक में भूकंप के झटकों की वजह ‘हाइड्रो सिस्मीसिटी’
बेंगलुरु, 15 अक्टूबर उत्तर कर्नाटक के बीदर और कलबुर्गी जिलों में झटकों की श्रृंखला वास्तव में ‘हाइड्रो- सिस्मीसिटी’ (भूमि के अंदर जलीय दबाव की परिघटना) की घटना है जो मानसून के बाद होती है। यह खुलासा एनजीआरआई के शुरुआती अध्ययन में हुआ है।
कर्नाटक के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आयुक्त मनोज राजन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से शुक्रवार को बताया, ‘‘ हमने राष्ट्रीय भूभौतकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) से कलबुर्गी और विजयपुरा इलाके में धरती में महसूस किए जा रहे हल्के कंपन का विस्तृत विश्लेषण करने को कहा था।’’
उन्होंने बताया, ‘‘शुरुआती अध्ययन से संकेत मिला है कि धरती में इस प्रकार के हल्के कंपन सामान्यत: मानसून के बाद महसूस होते हैं। इस परिपाटी को हाइड्रो सिस्मीसिटी कहते हैं जो भारी बारिश के बाद होती है। ’’
राजन ने बताया कि भूपर्टी के भीतर दरारें होती हैं और बारिश की वजह से भूजल बेसिन में जल स्तर बढ़ने से जलीय गतिविधियों में वृद्धि होने लगती है और धरती में दबाव बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि इससे धरती में हल्का कंपन महसूस होता है और कुछ मामलों में इसके साथ आवाजें भी आती हैं।
अधिकारी ने बताया, ‘‘ऐसा उथले भूकंप की वजह से होता है जिसमें सतह पर उच्च बारंबरता की तरंगे उठती हैं। इस तरह की भूकंपीय गतिविधि सामान्य है और इससे चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि यह बड़े भूकंप में तब्दील नहीं होता।’’
राजन ने बताया कि एनजीआरआई वैज्ञानिकों की दो टीम आगामी दो दिन में इलाके में भेज रही है ताकि जमीनी स्थिति का आकलन किया जा सके।
गौरतलब है कि बीदर जिले के बासवकल्याण गांव और कलबुर्गी के चिंचोली गांव के लोगों ने एक अक्टूबर से 12 अक्टूबर के बीच रिक्टर पैमाने पर 2.5 से चार तीव्रता के कम से कम छह झटके महसूस किए हैं। इससे घबराए ग्रामीण बड़े भूकंप की आशंका की वजह से खुले में राते बिता रहे हैं जबकि कुछ स्थिति समान्य होने तक दूसरे स्थानों पर चले गए हैं।
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