हरिहर जेठालाल जरीवाला का नाम कैसे पड़ा संजीव कुमार!

By भाषा | Updated: October 17, 2021 18:14 IST2021-10-17T18:14:57+5:302021-10-17T18:14:57+5:30

How did Harihar Jethalal Jariwala get the name Sanjeev Kumar! | हरिहर जेठालाल जरीवाला का नाम कैसे पड़ा संजीव कुमार!

हरिहर जेठालाल जरीवाला का नाम कैसे पड़ा संजीव कुमार!

नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर क्या आप जानते हैं कि हरिहर जेठालाल जरीवाला को संजीव कुमार का नाम कैसे मिला? वैसे तो वह खुद भी मानते थे कि उनका वास्तविक नाम अभिनेता होने के हिसाब से ठीक नहीं है, लेकिन निर्देशक कमाल अमरोही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने कुमार को सुझाव दिया कि पर्दे पर उनकी एक अलग और प्रभावशाली पहचान होनी चाहिये।

अभिनेता-नाट्यकार हनीफ जावेरी और वकील सुमंत बत्रा दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे जा चुके कुमार के जीवन पर आधारित एक पुस्तक लेकर आए हैं, जिसका शीर्षक ''एन एक्टर्स एक्टर'' है। इस किताब में उन्होंने संजीव कुमार के बारे में ऐसे ही कई दिलचस्प किस्से सुनाए हैं।

अपने करियर के शुरुआती दिनों में हरिहर जेठालाल जरीवाला नाम से पहचाने जाने वाले संजीव कुमार अकसर कहा करते थे कि उनका नाम ''एक अभिनेता के लिए उपयुक्त नहीं'' है। वह अपने दोस्तों के साथ उन संभावित नामों पर चर्चा करते, जिन्हें वह स्वीकार करना चाहते थे।

पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित पुस्तक में बताया गया है, ''उन्होंने तय किया कि वह 'एस' अक्षर से शुरू होने वाला नाम रखेंगे क्योंकि उनकी मां (शांताबेन) का नाम भी इसी अक्षर से शुरू होता था। साथ ही उनका कहना था कि उनका नाम 'कुमार' पर खत्म होना चाहिये क्योंकि उस समय अधिकतर अभिनेताओं का उपनाम कुमार था। लिहाजा 'संजय कुमार' नाम को कई लोगों ने मंजूर किया। उनकी दो फिल्मों ''रामत रामाडे राम'' तथा ''आओ प्यार करें'' में उनके किरदार का यही नाम था।''

जब जरीवाला ''निशान'' की शूटिंग कर रहे थे, तब उनकी मुलाकात बहुमुखी प्रतिभा के लेखक-निर्माता-निर्देशक अमरोही से हुई, जिन्होंने उन्हें अगले दिन दो नयी फिल्मों ''आखिरी दिन पहली रात'' और ''शंकर हुसैन'' (1977) पर चर्चा करने के लिए फिल्मिस्तान स्टूडियो, गोरेगांव आने के लिए कहा।

''शंकर हुसैन'' जरीवाला की अगली फिल्म थी।

पुस्तक के लेखक कहते हैं, ''जब हरि अमरोही से मिलने गए तो उन्हें उर्दू में कुछ कठिन संवादों के साथ एक स्क्रीन टेस्ट देने के लिए कहा गया। हमेशा मेहनती व्यक्ति रहे हरि ने संवादों को चार अलग-अलग तरीकों से बोला। हरि के आत्मविश्वास से पूरी तरह प्रभावित होकर, अमरोही ने सुझाव दिया कि हरि को अपनी उर्दू को ठीक करने के लिए उनके सहायक बाकर के साथ काम करना चाहिये।''

जरीवाला के नाम को लेकर अमरोही भी सोच में पड़ गए।

पुस्तक में कहा गया है कि अमरोही ने उन्हें बताया कि उनका नाम एक अभिनेता के लिए पर्याप्त प्रभावशाली नहीं है और उन्होंने उनके स्क्रीन नाम को बदलने का फैसला किया। जरीवाला की संजय कुमार नाम से दो फिल्में रिलीज हो चुकी थीं, फिर भी उन्होंने अमरोही को यह नहीं बताया कि वह पहले ही अपना नाम बदल चुके हैं।

लेखक कहते हैं, ''असपी ईरानी ने उन्हें नाम में थोड़ा बदलाव करने की सलाह दी। हरि नाम बदलने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि उनकी दो फिल्में 'आओ प्यार करें' और 'रामत रामाडे राम' संजय कुमार नाम से रिलीज हो चुकी थीं, लेकिन चूंकि 'आओ प्यार करें' जॉय मुखर्जी पर केंद्रित फिल्म थी जबकि 'रामत रामाडे राम' एक स्थानीय फिल्म थी, लिहाजा हरि ने एक और चांस लिया तथा संजय कुमार से अपना नाम बदल कर संजीव कुमार रख लिया।''

लिहाजा, अब यही उनकी पहचान थी, जिसके जरिये उन्होंने अभिनय की दुनिया में ऊंचा मुकाम हासिल किया।

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