पिथौरागढ़ (उत्तराखंड), 27 नवंबर जिले के धारचूला उपमंडल में दारमा घाटी का पहला गाँव दार जमीन की सतह कमजोर होने के कारण धीरे-धीरे ढलान से नीचे की ओर खिसक रहा है और यह स्थिति मानव बस्ती के लिए खतरा है। जिला प्रशासन के आदेश पर गाँव का सर्वेक्षण करने वाले एक भूविज्ञानी ने यह बात कही है।
गाँव का सर्वेक्षण करने वाले भूविज्ञानियों की टीम का नेतृत्व करने वाले प्रदीप कुमार ने शनिवार को कहा, ‘‘गाँव में रहनेवाले कुल 150 में से कम से कम 35 परिवारों को तुरंत स्थानांतरित करने की आवश्यकता है क्योंकि वे जिन घरों में रहते हैं वे धीरे-धीरे ढलान से नीचे खिसक रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि गाँव के नीचे की ओर खिसकने का कारण भूमिगत जल निकायों के नीचे की ओर रास्ता बनाने के अलावा सोबला-टिडांग मार्ग पर चौड़ीकरण का काम है जिसके परिणामस्वरूप उस भूमि की सतह कमजोर हो रही है, जिस पर गाँव स्थित है।
कुमार ने कहा कि लगभग 200 साल पहले भूस्खलन के चलते ये जल निकाय कई टन मलबे में दब गए थे तथा ये धीरे-धीरे नीचे की ओर जा रहे हैं जिससे मिट्टी की ऊपरी परत और भी कमजोर हो गई है।
उन्होंने कहा, "गाँव भूस्खलन के मलबे पर स्थित है और मिट्टी पहले से ही कमजोर है, जिसके नीचे कोई कठोर चट्टान नहीं है।"
कुमार ने कहा कि धारचूला और मुनस्यारी उपमंडलों के करीब 200 गांव सदियों से आसपास की पहाड़ियों में भूस्खलन के बाद जमा हुए मलबे पर स्थित हैं और भूस्खलन के लिहाज से ये अत्यधिक संवेदनशील हैं।
दार गांव की प्रधान सविता देवी ने गांव के कुछ घरों के नीचे की तरफ खिसकने की शिकायत प्रशासन को पत्र लिखकर की थी। इसके बाद जिला प्रशासन ने प्रदीप कुमार के नेतृत्व में भूवैज्ञानिकों की एक टीम को गाँव में सर्वेक्षण के लिए भेजा था।
ग्राम प्रधान ने कहा, ‘‘खतरे से जुड़े इन घरों में रह रहे लोगों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर भेजे जाने की आवश्यकता है क्योंकि विपदा किसी भी समय आ सकती है।’’
धारचूला के एसडीएम एके शुक्ला ने कहा कि भूवैज्ञानिकों की टीम से सर्वेक्षण रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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