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भारतीय भाषाओं के प्रोत्साहन के लिए उच्चाधिकार समिति का गठन

By भाषा | Updated: November 18, 2021 16:07 IST

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नयी दिल्ली, 18 नवंबर शिक्षा मंत्रालय ने देश में भारतीय भाषाओं के प्रोत्साहन के लिए एक उच्चाधिकार सम्पन्न समिति का गठन किया है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2000 की सिफारिशों के अनुरूप स्कूली एवं उच्च शिक्षा के स्तर पर भारतीय भाषाओं के अध्ययन को बेहतर बनाने एवं उसके बहुआयामी विकास का रास्ता सुझायेगी।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने ‘भाषा’ को बताया कि इस समिति का अध्यक्ष पद्मश्री चामू कृष्ण शास्त्री को बनाया गया है। इसके सदस्यों में शिक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव , मैसूर स्थित केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान के निदेशक, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली के कुलपति शामिल हैं ।

उन्होंने बताया कि समिति के अध्यक्ष के सुझाव पर कुछ और सदस्यों को मनोनीत किया जा सकता है।

अधिकारी ने बताया कि वर्तमान भारतीय भाषाओं में शिक्षा एवं शोध को पुनर्जीवित करने एवं देश में ऐसे विभिन्न संस्थाओं के विस्तार के संबंध में यह समिति मंत्रालय को सुझाव देगी तथा इसमें खासतौर पर नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं के संबंध में सिफारिशों का ध्यान रखा जायेगा।

समिति अनुसूचित, खतरे की श्रेणी में आने वाले, गैर-अनुसूचित, जनजातीय एवं शास्त्रीय भाषाओं सहित सभी श्रेणियों की भाषाओं का ध्यान रखेगी। यह भाषा शिक्षा पठन पाठन, भाषा अध्यापक शिक्षा को लेकर भी सिफारिश करेगी तथा अनुवाद, भाषा निक्षेपागार, कौशल विकास सहित अन्य विषयों पर भी विचार करेगी।

समिति भाषा से जुड़े छात्रों के लिए रोजगार के अवसरों को बेहतर बनाने के रास्ते सुझायेगी तथा छात्र केंद्रित गतिविधियों के संबंध में नवोन्मेष प्रकोष्ठ तथा भारतीय ज्ञान प्रणाली के साथ समन्वय करेगी।

गौरतलब है कि भारतीय भाषाओं के विकास के संबंध में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2000 में कहा गया है कि भाषा हमारी कला एवं संस्कृति से अटूट रूप से जुड़ी है तथा किसी भाषा को बोलने वाला अपने अनुभवों को कैसे समझता है या किस प्रकार से ग्रहण करता है...यह उस भाषा की संरचना से तय होता है।

नीति दस्तावेज के अनुसार, दुर्भाग्य से देश में भारतीय भाषाओं का समुचित देखभाल नहीं होने से देश ने विगत 50 वर्षो में ही 220 भाषाओं को खो दिया। यूनेस्को ने 197 भारतीय भाषाओं को लुप्तप्राय घोषित किया है। ऐसे में शिक्षण एवं अधिगम के स्तर पर स्कूली एवं उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं को एकीकृत करने की जरूरत है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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