नयी दिल्ली, 30 अप्रैल सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालयों को अनावश्यक एवं ‘‘बेवजह’’ टिप्पणियों से बचना चाहिए क्योंकि उनके गंभीर परिणाम होते हैं। यह बात शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने कही।
कोविड-19 से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने यह सलाह दी। सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील रणजीत कुमार ने क्रमश: केंद्र और बिहार सरकार की तरफ से पेश होते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारी कुछ नहीं कर रहे हैं।
कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के तरीकों को लेकर मद्रास और दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और विभिन्न प्राधिकारों को काफी फटकार लगाई है।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने देश में कोविड-19 प्रबंधन का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की है। उन्होंने केंद्र और बिहार सरकार के हलफनामे का संज्ञान लिया और उच्च न्यायालयों को चेताया।
वकीलों ने कहा कि कोविड-19 से पीड़ित अधिकारियों सहित सरकारी अधिकारी महामारी की स्थिति से निपटने में अथक काम कर रहे हैं। कुमार ने कहा कि ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों को फटकारना ‘‘काफी मनोबल’’ गिराने वाली बात है।
पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों को भी पता है कि यह नया वक्त है जहां उनका हर शब्द सोशल मीडिया का हिस्सा बन जाता है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम सम्मान और धैर्य की उम्मीद करते हैं।
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