उच्च न्यायालय ने एससी महिला की नियुक्ति पर जीपीएससी के फैसले को ‘अवैध और दुर्भावनापूर्ण’ बताया

By भाषा | Updated: August 9, 2021 21:29 IST2021-08-09T21:29:34+5:302021-08-09T21:29:34+5:30

High Court terms GPSC's decision on appointment of SC woman 'illegal and malicious' | उच्च न्यायालय ने एससी महिला की नियुक्ति पर जीपीएससी के फैसले को ‘अवैध और दुर्भावनापूर्ण’ बताया

उच्च न्यायालय ने एससी महिला की नियुक्ति पर जीपीएससी के फैसले को ‘अवैध और दुर्भावनापूर्ण’ बताया

अहमदाबाद, नौ अगस्त गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात लोकसेवा आयोग (जीपीएससी) द्वारा अनुसूचित जाति की महिला को वर्ष 2019 की प्रतियोगी परीक्षा में आरक्षण का लाभ नहीं लेने और सामान्य वर्ग में शामिल होकर 43वां रैंक हासिल करने के बावजूद पहली वरीयता की नियुक्ति नहीं देने को सोमवार को ‘गैर कानूनी और दुर्भावनापूर्ण’ करार दिया।

उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता रोशनी सोलंकी ने जीपीएससी के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें बिक्री कर विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर नियुक्ति की दी गई थी, जो उनकी तीसरी वरीयता थी जबकि सामान्य वर्ग में 110वीं रैंक लाने वाली महिला की पुलिस उपाधीक्षक के पद पर नियुक्ति की अनुशंसा की गई थी, जो याचिकाकर्ता की पहली वरीयता थी।

न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया ने जीपीएससी को निर्देश दिया कि वह याचिकाकार्ता को पुलिस उपाधीक्षक के पद के लिए नियुक्ति पत्र जारी करे। न्यायमूर्ति सुपेहिया ने उच्च न्यायालय के उस आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि सामान्य श्रेणी के लिए आरक्षित पदों पर सभी महिलाएं प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं, भले ही वे किसी भी श्रेणी से आती हों।

जीपीएससी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि सोलंकी को पहली वरीयता नहीं दी गई क्योंकि वह पहले ही उम्र और प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा में अर्हता अंक के लिए आरक्षण का लाभ सरकार द्वारा जारी 23 जुलाई 2004 के आदेश के तहत ले चुकी थीं।

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Web Title: High Court terms GPSC's decision on appointment of SC woman 'illegal and malicious'

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