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उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से हर्बल हुक्का बिक्री में हस्तक्षेप से रोकने के लिए याचिका पर जवाब मांगा

By भाषा | Updated: December 30, 2021 16:16 IST

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नयी दिल्ली, 30 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो बार मालिकों की उस याचिका पर आम आदमी सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें अधिकारियों को हर्बल हुक्का परोसने के उनके व्यवसाय में हस्तक्षेप करने से रोकने का अनुरोध किया गया है। न्यायालय ने नवंबर में हर्बल हुक्के की अनुमति दी थी।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने कहा कि अदालत की अंतरिम अनुमति याचिकाकर्ता मालिकों द्वारा व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल करने के दायरे में है कि हर्बल हुक्के, जिसे वे ‘डिस्पोजेबल पाइप’ का उपयोग करके परोसते हैं, बिल्कुल निकोटीन मुक्त होंगे और मौजूदा कोविड-19 प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जायेगा।

अदालत ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने दिल्ली सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि नौ फरवरी तय की।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 16 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी में रेस्तरां और बार में थोड़े समय के लिए ‘हर्बल हुक्कों’ के उपयोग की अनुमति दी थी और कहा था कि आजीविका की कीमत पर कोविड-19 प्रतिबंधों को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे 16 नवंबर के आदेश के संदर्भ में अदालत के समक्ष एक हलफनामा दाखिल कर रहे है, कि वे कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ‘डिस्पोजेबल पाइप’ के उपयोग के साथ केवल हर्बल हुक्के परोसेंगे।

अदालत ने 24 दिसंबर को ‘श्रीनाथजी इक्विप्मेंट्स प्राइवेट लिमिटेड’ की एक इकाई डिटास और ‘मैसर्स एलकेजी हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड’ की एक इकाई ‘कैफे आफ्टर आवर्स’ की दो अलग-अलग याचिकाओं पर इसी तरह के आदेश पारित किए।

अदालत ने 16 नवंबर के आदेश में स्पष्ट किया था कि वह केवल अंतरिम राहत प्रदान कर रहा है और इसके लिए याचिकाकर्ताओं को एक हलफनामा देना होगा कि वे ‘हर्बल हुक्कों’ की बिक्री करते समय कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करेंगे।

अदालत ने दिल्ली सरकार को याचिकाओं पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया था और कहा था कि यदि अन्य रेस्तरां तथा बार कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए हर्बल हुक्का बेचने की अनुमति मांगते हैं, तो वह इस पर ‘‘खुद फैसला’’ ले।

कई लाउंज और बार मालिकों ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें कहा गया था कि वे ‘हर्बल हुक्का’ की बिक्री कर रहे थे, (जिसके लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उनमें बिल्कुल भी तंबाकू नहीं होता) लेकिन पुलिस फिर भी छापेमारी कर रही है, उपकरण जब्त कर रही है और चालान कर रही है।

याचिकाकर्ताओं ने संयुक्त पुलिस आयुक्त (लाइसेंसिंग यूनिट) के उस आदेश को भी चुनौती दी थी, जिसमें हर्बल हुक्के की बिक्री या सेवा पर रोक लगाई गई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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