उच्च न्यायालय ने कक्षा 11 में दाखिले के लिए परीक्षा कराने का महाराष्ट्र सरकार का आदेश रद्द किया

By भाषा | Updated: August 10, 2021 20:02 IST2021-08-10T20:02:04+5:302021-08-10T20:02:04+5:30

High Court quashes Maharashtra government's order to conduct examinations for class 11 admissions | उच्च न्यायालय ने कक्षा 11 में दाखिले के लिए परीक्षा कराने का महाराष्ट्र सरकार का आदेश रद्द किया

उच्च न्यायालय ने कक्षा 11 में दाखिले के लिए परीक्षा कराने का महाराष्ट्र सरकार का आदेश रद्द किया

मुंबई, 10 अगस्त बंबई उच्च न्यायालय ने कक्षा 11 में दाखिले के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) कराने का महाराष्ट्र सरकार का आदेश मंगलवार को रद्द कर दिया और कहा कि यह ‘‘घोर अन्याय’’ का मामला है तथा कोविड-19 महामारी के मद्देनजर छात्रों के जीवन के लिए इससे खतरा उत्पन्न होगा।

सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार कक्षा 11 में प्रवेश के वास्ते दसवीं उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों के लिए 21 अगस्त को प्रत्यक्ष रूप से सीईटी का आयोजन होना था।

न्यायमूर्ति आर डी धानुका और न्यायमूर्ति आर आई चागला की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा 28 मई को जारी अधिसूचना निरस्त कर दी। इस अधिसूचना में कहा गया था कि दसवीं उत्तीर्ण करनेवाले सभी बोर्ड से संबंधित विद्यार्थियों के लिए सीईटी का आयोजन किया जाएगा जिसके आधार पर वे कक्षा 11 में दाखिला लेने के वास्ते अपनी पसंद का कॉलेज चुन सकेंगे।

पीठ ने कहा, ‘‘राज्य सरकार के पास कानून के तहत इस तरह की अधिसूचना जारी करने का अधिकार नहीं है और यह अदालत इस तरह के घोर अन्याय के मामले में हस्तक्षेप कर सकती है।’’

इसने कहा कि यदि अधिसूचना को चुनौती देने के लिए याचिका दायर नहीं की जाती तो तब भी यह अदालत के लिए स्वत: संज्ञान के वास्ते उपयुक्त मामला होता।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यदि सीईटी कराने की अनुमति दी जाती है तो इससे छात्रों के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न होगा और इसका गंभीर परिणाम होगा।

अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि जो छात्र-छात्रा सीईटी देने के इच्छुक नहीं हैं, उन्हें उनके दसवीं के अंकों के आधार पर दाखिला मिलेगा।

अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह दसवीं में मिले अंकों और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर विद्यार्थियों को कक्षा 11 में दाखिला देना शुरू करे तथा समूची प्रवेश प्रक्रिया छह सप्ताह के भीतर पूरी करे।

उच्च न्यायालय ने यह आदेश सीआईसीएसई बोर्ड से संबद्ध आईईएस ओरियन स्कूल की छात्रा अनन्या पात्की की याचिका और आईजीसीएसई के चार छात्रों की हस्तक्षेप याचिकाओं पर दिया।

महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने पूर्व में कहा था कि दाखिला सभी छात्रों को दिया जाएगा, लेकिन जो अपनी पसंद का कॉलेज चाहते हैं, उन्हें सीईटी में बैठना होगा।

याचिकाकर्ता के पिता एवं अधिवक्ता योगेश पात्की ने उच्च न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार ने निर्णय ‘‘लापरवाह तरीके से’’ लिया है और परीक्षा की तारीख की जानकारी ‘‘अल्पकालीन सूचना’’ पर 19 जुलाई को दी गई।

महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश कुंभकोणी ने कहा कि राज्य सरकार के पास सीईटी अधिसूचना जारी करने का अधिकार है जो ‘‘वैकल्पिक’’ है तथा इसका आयोजन कोविड रोधी प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि 10.75 लाख विद्यार्थियों ने सीईटी के लिए पंजीकरण कराया है जिसमें बड़ी संख्या में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के छात्र-छात्रा शामिल हैं।

इस बीच, महाराष्ट्र की स्कूल शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने कहा कि सीईटी को रद्द करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन करने के बाद राज्य सरकार उचित कार्रवाई करेगी।

गायकवाड़ ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सीईटी कराने का निर्णय छात्रों की शिक्षा को हुए नुकसान को कम करने के लिए किया गया था। पिछले साल, छात्रों को शिक्षा का नुकसान हुआ। हम बंबई उच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन करेंगे और तनदुसार कार्रवाई करेंगे।’’

मंत्री ने कहा, ‘‘राज्य शिक्षा विभाग के पास पहले से ही 12 लाख विद्यार्थियों से संबंधित आंकड़ा है, जो (कक्षा 11 में) प्रवेश के लिए पात्र हैं। ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया केवल मुंबई और पुणे जैसे बड़े शहरों में लागू है।

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Web Title: High Court quashes Maharashtra government's order to conduct examinations for class 11 admissions

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