नयी दिल्ली, 10 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के संबंध में पिछले साल मई में गिरफ्तार जेएनयू की छात्रा नताशा नरवाल को अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सोमवार को जमानत दे दी। नरवाल के पिता का कोविड-19 के संक्रमण से निधन हो गया।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति ए जे भंभानी की पीठ ने ‘पिंजड़ा तोड़’ मुहिम की कार्यकर्ता नरवाल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर तीन सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दी।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्रा नरवाल के भाई भी कोविड-19 से संक्रमित हैं और अदालत ने इसी आधार पर उन्हें यह राहत दी। वकील अदित एस पुजारी की ओर से दाखिल नरवाल की याचिका का सरकार ने भी विरोध नहीं किया।
‘पिंजड़ा तोड़’ मुहिम की शुरुआत 2015 में हुई थी जिसका उद्देश्य छात्रावासों और पेइंग गेस्ट में छात्राओं के लिए पाबंदियों को खत्म करना था।
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