झांसी में कथित घोटाले की जांच में देरी को लेकर उच्च न्यायालय ने नाखुशी जताई
By भाषा | Updated: August 10, 2021 00:20 IST2021-08-10T00:20:46+5:302021-08-10T00:20:46+5:30

झांसी में कथित घोटाले की जांच में देरी को लेकर उच्च न्यायालय ने नाखुशी जताई
प्रयागराज, नौ अगस्त झांसी में करोड़ों रुपये के कथित घोटाले को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच में देरी को लेकर नाखुशी जताई। अदालत ने जुलाई, 2019 में दर्ज प्राथमिकी की जांच पूरी होने में विलंब का कारण जानना चाहा। अदालत ने कहा, “उस प्राथमिकी में गंभीर आरोप लगाए गए हैं।”
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति एस सी शर्मा की पीठ ने इस मामले में सरकार से और अधिक जानकारी जुटाने के लिए अपर शासकीय अधिवक्ता सैयद अली मुर्तजा को मोहलत प्रदान की।
गिरिराज सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, “यदि संबंधित पुलिस थाने के पास जहां प्राथमिकी दर्ज की गई है, आधारभूत ढांचे की कमी के चलते जांच पूरी नहीं की जा सकी है तो सरकार को इस मामले की जांच ऐसी एजेंसी को दे देनी चाहिए थी जो जांच में तेजी लाती।”
अदालत ने गत बृहस्पतिवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की और सुनवाई की अगली तारीख 24 अगस्त तय की।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, झांसी में बुंदेलखंड क्षेत्र के 144 गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत हैदराबाद की एक कंपनी को ठेका दिया गया था। आरोप है कि उस कंपनी ने राज्य बिजली विभाग के इंजीनियरों की मिलीभगत से काम पूरा किए बगैर भुगतान हासिल कर लिया।
जब यह मामला प्रकाश में आया तो इस संबंध में पांच जुलाई, 2019 को झांसी जिले के नवाबाद पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इसके बाद राज्य के सतर्कता विभाग को इस कथित घोटाले की जांच का जिम्मा सौंपा गया।
मौजूदा जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि सतर्कता विभाग उचित ढंग से अपनी जांच पूरी नहीं कर रहा है। इसलिए अदालत सतर्कता विभाग को जल्द से जल्द जांच पूरी करने का निर्देश जारी करे।
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