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उच्च न्यायालय ने पूछा: क्या नागरिकों को कोविड-19 टीके की तीसरी या बूस्टर खुराक की आवश्यकता होगी

By भाषा | Updated: August 2, 2021 18:37 IST

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मुंबई, दो अगस्त बम्बई उच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या कोविड-19 टीके की दोनों खुराक ले चुके नागरिकों को भविष्य में कभी भी टीके की तीसरी खुराक या बूस्टर खुराक की आवश्यकता होगी।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि हाल में राज्य सरकार के साथ बैठक में महाराष्ट्र कोविड-19 कार्यबल ने उल्लेख किया था कि कोविशील्ड या कोवैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बावजूद, नागरिकों को कोरोना वायरस के कई स्वरूपों से खुद को बचाने के लिए तीसरी या बूस्टर खुराक की आवश्यकता हो सकती है।

पीठ ने कहा, ‘‘कृपया जांचें कि तीसरी या बूस्टर खुराक की कितनी आवश्यक है।’’ उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणि से पूछा, ‘‘राज्य कार्यबल ने कहा था कि कोविशील्ड की दूसरी खुराक को प्राप्त करने से 10 महीने और कोवैक्सीन की दूसरी खुराक लेने से छह महीने के बाद तीसरी खुराक लेने की आवश्यकता हो सकती है। क्या अभी भी ऐसा है।’’

उच्च न्यायालय कोविड-9 से निपटने के लिए संसाधनों के प्रबंधन से संबंधित कई मुद्दों, महामारी की तीसरी लहर की तैयारियों, और कोविन पोर्टल पर टीकाकरण स्लॉट बुक करते समय आने वाली समस्याओं के निवारण के अनुरोध संबंधी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।

महाराष्ट्र सरकार ने पीठ को सूचित किया कि राज्य के 12.23 करोड़ लोगों में से 3.35 करोड़ को कोविड-19 रोधी टीके की पहली खुराक दी गई है। कुल 1.13 करोड़ लोगों को दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं।

राज्य सरकार ने न्यायालय को यह भी बताया कि उसे केंद्र सरकार से टीका आवंटन में कमी का सामना करना पड़ रहा है।

एक चिकित्सक ने उच्च न्यायालय को बताया कि आज तक शहर में कम से कम 20 लाख लोगों को उनकी दूसरी खुराक मिलनी थी, लेकिन शहर को दैनिक आधार पर केवल टीके की पांच से सात लाख शीशियां मिल रही थीं।

उपरोक्त याचिकाओं में से दो याचिकाकर्ताओं, अधिवक्ताओं अनीता कैस्टेलिनो और जमशेद मास्टर ने बताया कि कुछ मामलों में, नागरिकों को गलत नाम और बैच नंबर के साथ टीकाकरण प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे है, और इसे संशोधित करने के वास्ते कोई तंत्र मौजूद नहीं है।

उच्च न्यायालय ने राज्य और केंद्र सरकार दोनों को सुनवाई के दौरान उठाई गई सभी चिंताओं को दूर करते हुए अपने-अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया।

उच्च न्यायालय इन याचिकाओं पर 23 अगस्त को सुनवाई जारी रखेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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