लाइव न्यूज़ :

कोरोना संकट के बीच अर्थशास्त्रियों ने सरकार को दिए सलाह, कहा- जरूर करने चाहिए ये दो काम

By भाषा | Updated: July 11, 2020 20:14 IST

कोरोना वायरस महामारी के बीच स्वास्थ्य संकट पर को देखते हुए अर्थशास्त्रियों ने कहा कि सरकार को स्वास्थ्य पर खर्च और भारत को झुग्गी मुक्त बनाने पर जोर देना चाहिए।

Open in App
ठळक मुद्देअर्थशास्त्रियों ने कहा कि देश को 2023 तक सभी शहरों को झुग्गी मुक्त बनाने की दिशा में भी काम करना चाहिए।उन्होंने कहा कि भारत स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में निवेश करके कोविड-19 संकट को एक अवसर में बदल सकता है।

मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक द्वारा शनिवार को आयोजित सातवें आर्थिक सम्मेलन में अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में निवेश करके कोविड-19 संकट को एक अवसर में बदल सकता है। उनकी यह भी सिफारिश है कि देश को 2023 तक सभी शहरों को झुग्गी मुक्त बनाने की दिशा में भी काम करना चाहिए।

अर्थशास्त्रियों ने कहा कि नीति-निर्माण में विकेंद्रीकरण पर अधिक जोर देना चाहिए क्योंकि एक ही विचार सभी के लिए हमेशा काम नहीं कर सकता है। कोरोना वायरस संक्रमण के लिहाज से अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत तीसरे स्थान पर है । भारत में अब तक 22,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

अर्थशास्त्रियों ने कहा कि यह चिंताजनक बात है कि आत्मनिर्भर भारत की अत्यधिक चर्चा के बीच इस बारे में बहुत कुछ नहीं कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में क्या निवेश हो रहे हैं, या हम परीक्षण और बुनियादी सूचना अभियानों पर कितना खर्च कर रहे हैं।

मानवीय और स्वास्थ्य संकट सभी आपस में जुड़े हुए हैं

येल विश्वविद्यालय से जुड़ी रोहिणी पांडे ने कहा कि यह स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित संकट है। उन्होंने कहा कि भारत ने स्वास्थ्य में ऐतिहासिक रूप से कम निवेश किया है और अभी भी इसमें बहुत अधिक बढ़ोतरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि आर्थिक सुधार के लिए, मानवीय और स्वास्थ्य संकट सभी आपस में जुड़े हुए हैं।

हमें स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश करना होगा

एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री एस के घोष ने कहा कि इस संकट को अवसर में बदलने के लिए हमें स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश करना होगा। उन्होंने अगले दो वर्षों में 60,000 करोड़ रुपये की लागत से 250 जिलों में 500 बिस्तरों वाले एक-एक अस्पताल बनाने का सुझाव दिया।

प्रवासी मजदूर वापस नहीं आना चाहते शहर

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के अर्जुन जयदेव ने कहा कि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को लेकर चिंता व्यापक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि कई प्रवासी मजदूर शहरों में वापस नहीं आना चाहते हैं क्योंकि उन्हें रहने के लिए अनुकूल माहौल नहीं मिल रहा है, साथ ही वे अपने स्वास्थ्य के बारे में भी परेशान हैं।

टॅग्स :कोरोना वायरसभारत सरकारकोविड-19 इंडियाकोरोना वायरस इंडिया
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबार500 किमी तक की उड़ान के लिए किराया 7,500, 500-1,000 किमी के लिए टिकट की कीमत 12,000 रुपये तय, जानें रेट लिस्ट

कारोबारईपीसी क्षेत्रः 2030 तक 2.5 करोड़ से अधिक नौकरी?, 2020 के बाद से भर्ती मांग में 51 प्रतिशत की वृद्धि

कारोबारIndiGo Crisis: हवाई किराए मनमानी पर सख्ती, केंद्र सरकार का एक्शन, सभी रूट पर कैप?

कारोबारउद्यम रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पाने के लिए फर्जी डेटा देने वाले के खिलाफ कारवाई की मांग 

भारतनौकरशाही में फेरबदलः यहां से वहां नीरज मित्तल, श्रीवत्स कृष्ण, अमित अग्रवाल, मनोज जोशी, अतीश चंद्रा और अंजू राठी राणा, देखिए पूरी सूची

भारत अधिक खबरें

भारतगोवा अग्निकांड पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने जताया दुख, पीड़ितों के लिए मुआवजे का किया ऐलान

भारतGoa Fire Accident: अरपोरा नाइट क्लब में आग से 23 लोगों की मौत, घटनास्थल पर पहुंचे सीएम सावंत; जांच के दिए आदेश

भारतगोवा के नाइट क्लब में सिलेंडर विस्फोट में रसोई कर्मचारियों और पर्यटकों समेत 23 लोगों की मौत

भारतEPFO Rule: किसी कर्मचारी की 2 पत्नियां, तो किसे मिलेगी पेंशन का पैसा? जानें नियम

भारतरेलवे ने यात्रा नियमों में किया बदलाव, सीनियर सिटीजंस को मिलेगी निचली बर्थ वाली सीटों के सुविधा, जानें कैसे